टाटा व रिलायंस ने गांवों के विकास की सरकारी योजना से पल्ला झाड़ा

सामाजिक सरोकार से दूर-दूर तक नाता न रखनेवाला रिलायंस समूह अगर ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकसित करने से भाग खड़ा हो तो कोई बात नहीं, लेकिन टाटा जैसा समूह रुचि न दिखाए तो आश्चर्य होता है। लेकिन हुआ यही। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के गांवों में शहरों जैसी सुविधाएं मुहैया कराने के सपने को हकीकत में बदलने की कवायद में ग्रामीण विकास मंत्रालय जुट गया है। 248 करोड़ रुपए का पायलट प्रोजेक्ट जनवरी 2011 में चालू हो जाएगा। तैयारियां जोरों पर हैं।

प्रायोगिक तौर पर केवल नौ जगहों पर चलाई जाने वाली योजनाओं के लिए 95 दिग्गज कंपनियों ने आवेदन किया था। लेकिन जब उन्हें अपनी जिम्मेदारियों का एहसास कराया गया तो ज्यादातर कंपनियां भाग खड़ी हुईं, जिनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा,  श्री सीमेंट, एसीसी और आईडीएफसी के नाम प्रमुख हैं। इन कंपनियों के पल्ला झाड़ लेने के सवाल पर ग्रामीण विकास सचिव बीके सिन्हा तपाक से कहते हैं कि गांव के विकास की चुनौती को स्वीकार करने के लिए शेर-दिल होना पड़ेगा। यानी कायरों के लिए यह जगह नहीं है।

बता दें कि सरकार ने निजी क्षेत्र की कंपनियों के सहयोग से गांवों की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने का फैसला किया है। आजकल हर कंपनी कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) की बात करती है। इसके लिए कंपनियों के शुद्ध लाभ का एक निश्चित हिस्सा अलग रखने की भी बात चल रही है। सभी कंपनियां ग्रामीण बाजार का फायदा उठाने के लिए वहां तक पहुंचने की कोशिश में लगी हैं। लेकिन इस प्रकरण से साफ हो गया है कि उनकी दिलचस्पी गांवों के विकास में नहीं, बल्कि यथास्थिति का दोहन करने तक ही सीमित है।

सिन्हा ने स्पष्ट किया कि गावों के विकास में प्राइवेट का सहयोग लेने के पीछे सरकार की विफलता भी है। शहरी सुविधाओं का पहला लाभ आम गांवों के बजाय खास लोगों के गांवो को मिलेगा। परियोजना के लिए जिन गांवों का चयन किया गया है, उनमें राहुल गांधी के अमेठी, गृहमंत्री पी. चिदंबरम के शिवगंगा, ग्रामीण विकास मंत्री सीपी जोशी के राजसमंद और योजना व संसदीय कार्य राज्यमंत्री वी. नारायणसामी के क्षेत्र कराइकल संसदीय क्षेत्रों को प्रमुखता दी गई है।

इस नायाब योजना में गांवों पेयजल, सीवर लाइन, नाली-खड़ंजा, सड़कें, स्ट्रीट लाइट, कचरा प्रबंधन, आर्थिक गतिविधियों के इंतजाम के अलावा युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद इसे 12वीं पंचवर्षीय योजना में विस्तृत रूप दिया जाएगा।

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