पारसमणि

गुरु की जरूरत पहले भी थी, अब भी है, कल भी रहेगी। सच्चा गुरु उस पारसमणि की तरह है जिसका हाथ लगते ही पत्थर भी सोना बन जाता है। लेकिन आज तो गुरु कम, गुरुघंटाल ही ज्यादा मिलते हैं।

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