बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के प्रबंधन द्वारा आरडीबी इंडस्ट्रीज पर आज के लिए सर्किट फिल्टर हटाने का ‘अपेक्षित’ नतीजा दिख गया। शेयर 50 फीसदी से ज्यादा गिरकर नीचे में 75.05 रुपए पर पहुंच गया। दोपहर 12 बजे के आसपास यह 47.25 फीसदी की गिरावट के साथ 79.95 पर चल रहा था और इसमें 10.57 लाख शेयरों के सौदे हो चुके थे। यह आरडीबी इंडस्ट्रीज के शेयरों में 12 सालों के दौरान आई सबसे बड़ी गिरावट है। ऐसी गिरावट उसमें 1988 में एक बार आई थी।
किसी शेयर के दाम अचानक इस आधार एक्स-बोनस होने पर ही आधे होते हैं। लेकिन आरडीबी में ऐसा कुछ नहीं हुआ है। हां, उसके रीयल्टी कामकाज को अलग कंपनी में जरूर डाल दिया गया है, जिसके शेयर एक पर एक के अनुपात में कंपनी के शेयरधारकों दिए जाएंगे। लेकिन आरडीबी इंडस्ट्रीज की इक्विटी जस की तस रहेगी। कंपनी के शेयर में नया फैसला लागू करने के लिए रिकॉर्ड तारीख कल 23 जून को है। इसलिए आज इसमें खरीद बढ़ने से भाव बढ़ने चाहिए। लेकिन हो रहा है इसका उल्टा। वैसे, दिन में यह एक बार 160 रुपए पर चला गया हो जो 52 हफ्ते का इसका उच्चतम स्तर है। हालांकि बंद हुआ 47,21 फीसदी की गिरावट के साथ 80 रुपए पर। इसमें दिन भर में कुल 22.32 लाख शेयरों की ट्रेडिंग हुई।
बता दें कि इस शेयर पर अभी तक 5 फीसदी का सर्किट ब्रेकर लगा हुआ था। लेकिन बीएसई ने सोमवार को बाजार बंद होने के बाद शाम पौने पांच बजे एक नोटिस जारी कर इससे एक दिन के लिए सर्किट ब्रेकर हटा लिय। उसका कहना था कि ऐसा इसलिए ताकि ट्रेडर इस शेयर में ‘रीयलिस्टिक प्राइस लेवल’ पर सौदे कर सकें। हमने कल ही लिखा था कि इससे आज यह बेलगाम हो सकता है।
जानकारों का कहना है कि यह सब एक्सचेंज का मनमाना खेल है जो कुछ ‘ले-देकर’ खेला गया है। उनका सवाल है कि कोई भी एक्सचेंज कैसे तय कर सकता है कि कंपनी के शेयर का कौन-सा मूल्य ‘रीयलिस्टिक’ है और कौन-सा ‘अनरीयलिस्टिक’। इस समय कंपनी के सिगरेट कारोबार का मूल्यांकन 250 करोड़ रुपए के आसपास है। ऐसे में कैसे यह शेयर रीयल्टी व्यवसाय के अलग होने से आधे पर आ सकता है। रीजेंट ब्रांड इसी कंपनी का है। आईटीसी और मोदी समूह की कंपनी ग्रॉडफ्रे फिलिप्स इसे खरीदने की पेशकश कर चुकी है।
This is height! How can Exchange worth its name do it? only to serve interest of some operators/vested interests? Sebi should take action against BSE.