रिजर्व बैंक ने बैंकों के होमलोन धंधे और बढ़ती प्रॉपर्टी कीमतों पर लगाम लगाने के नए कदम उठाए हैं। मंगलवार को पेश मौद्रिक नीति की दूसरी त्रैमासिक समीक्षा में उसने बैंकों को टीजर होमलोन देने से हतोत्साहित करने की भी कोशिश की है। इन कदमों का मसकद यही है कि कहीं बैंकों का उतावलापन भविष्य में उनकी परेशानी का सबब न बन जाए।
सबसे पहले तो उसने तय कर दिया है कि कोई भी बैंक मकान की वास्तविक कीमत का अधिकतम 80 फीसदी ही लोन दे सकता है। अभी तक रिजर्व बैंक या किसी अन्य सरकारी नियामक की तरफ से ऐसी कोई सीमा नहीं है। इसलिए होता यह रहा है कि कभी मकान की कीमत ही नहीं, उसके रजिस्ट्रेशन तक के पूरे खर्च के लिए लोन देते रहे हैं। लेकिन अब रिजर्व बैंक ने बाकायदा एक नया मानक एलटीवी (लोन टू वैल्यू) अनुपात बना दिया है। हाउसिंग लोन के मामले में यह अनुपात किसी भी सूरत में 80 फीसदी से अधिक नहीं होना चाहिए। इसका सीधा-सा मतलब हुआ कि आपको मकान की कीमत के 20 फीसदी हिस्से का इंतजाम अपनी बचत या अन्य स्रोतों से करना होगा।
रिजर्व बैंक ने इसके साथ ही हाउसिंग या होमलोन पर जोखिम से जुड़े प्रावधान (प्रॉविजनिंग) का स्तर बढ़ा दिया है। अभी तक 74 फीसदी एलटीवी वाला हाउसिंग लोन अगर 30 लाख रुपए तक का है तो बैंकों को उसके 50 फीसदी हिस्से का प्रावधान करना होता है। इससे ज्यादा रकम के होम लोन पर जोखिम संबंधी प्रावधान बढ़कर 75 फीसदी हो जाता है। अगर एलटीवी 75 फीसदी से ज्यादा है तो पूरे होमलोन के बराबर यानी 100 फीसदी रकम का प्रावधान बैंकों को करना होता है। रिजर्व बैंक ने अब 75 लाख रुपए या इससे अधिक के होमलोन पर 125 फीसदी प्रावधान का प्रस्ताव रखा है। यह नियम किसी भी एलटीवी के लोन पर लागू होगा।
रिजर्व बैंक इस साल जनवरी से ही भारतीय स्टेट बैंक और उसकी देखादेखी तमाम बैंकों के टीजर होमलोन पर एतराज जताता रहा है। शुरुआती कुछ सालों में कम ब्याज दरों पर दिए जानेवाले इन ऋणों के बारे में रिजर्व बैंक की डिप्टी गवर्नर उषा थोराट बराबर चिंता जताती रही हैं। मौद्रिक नीति की ताजा समीक्षा में रिजर्व बैंक ने भी कहा है कि शुरुआती सालों में कम और बाद में ज्यादा ब्याज लेने का तरीका परेशान करनेवाला है क्योंकि हो सकता है कि कुछ कर्जदार सामान्य ब्याज दरों पर इनकी वापसी नहीं कर सकें। बैंक ऐसे लोन देते समय कर्जदार की स्थिति की सही आकलन भी नहीं करते।
इसलिए रिजर्व बैंक ने ऐसे सभी टीजर लोन पर प्रावधान की दर 2 फीसदी बढ़ा दी है। यानी, अगर किसी होम लोन पर 100 फीसदी प्रावधान करना है तो उसी राशि के टीजर होमलोन पर बैंक को 102 फीसदी प्रावधान करना होगा। अभी तक इन ऋणों पर यह प्रावधान 0.4 फीसदी ही ज्यादा था यानी 100 रुपए के बजाय बैंकों को केवल 100.04 रुपए का प्रावधान करना पड़ता था।
रिज्रर्व बैंक ने मौद्रिक नीति में सीआरआर को जस का तस 6 फीसदी पर रखा है, जबकि रेपो और रिवर्स रेपो दर को बढ़ाकर क्रमशः 6.25 फीसदी और 5.25 फीसदी कर दिया है। इससे साफ होता है कि रिजर्व बैंक जहां सिस्टम में घट रही तरलता को लेकर चिंतित है, वहीं वह मुद्रास्फीति पर नियंत्रण पाने का उपाज ब्याज दरें बढ़ाने को मानता है। इस समय स्थिति यह है कि बैंक रिजर्व बैंक के पास रिवर्स रेपो दर पर अतिरिक्त धन जमा कराने के बजाय उससे रेपो दर पर रोज-ब-रोज की जरूरतों के लिए रकम उधार ले रहे हैं। इसीलिए रिजर्व बैंक ने अपने पास रखी जानेवाली बैंकों की नकदी के अनुपात सीआरआर से कोई छेड़छोड़ नहीं की है।