बाबा रामदेव प्रकरण पर कांग्रेस और यूपीए सरकार में फजीहत झेल रहे मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्ब्ल अब धर्मगुरुओं को पटाने में जुट गए हैं। सोमवार को उन्होंने पुरी के शंकराचार्य अधोक्षानंद को दिल्ली बुलाकर मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद अधोक्षानंद ने बाबा रामदेव के खिलाफ सरकार की कार्रवाई का समर्थन किया। उन्होंने इस संकट का पूरा दोष योगगुरू पर लगाते हुए कहा कि उन्हें अब भगवा चोला त्याग देना चाहिए।
पुरी के शंकराचार्य ने कहा, ‘‘समूची गड़बड़ी के लिए रामदेव जिम्मेदार हैं। उन्होंने अपने समर्थकों से सच्चाई (सरकार से समझौते की बात) छिपाई। उन्हें माफी मांगनी चाहिए। वह पिछले कुछ वर्षों से भगवा वस्त्र का दुरूपयोग कर रहे हैं। जो कुछ हुआ (बलपूवर्क खदेड़ा जाना) वह ठीक है। उन्हें अब भगवा चोला त्याग देना चाहिए।’’ उन्होंने रामदेव पर अपने कारोबारी हितों को ध्यान में रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि योगगुरू ने ऐसे रास्ते अख्तियार किए जो संत की बुनियादी भूमिका के खिलाफ हैं।
अधोक्षानंद ने कहा, ‘‘ ऐसे लोग जो गुरू बनते हैं, उन्हें व्यावसायिक गतिविधियां त्याग देनी चाहिए। गुरू व संत त्याग और दूसरों के कल्याण कार्य में अपना जीवन लगाते हैं। रामदेव का ध्यान अपनी व्यावसायिक गतिविधियों पर है और उन्होंने ऐसे तत्वों से हाथ मिलाया है जिससे देश के समक्ष संकट खड़ा हुआ है। इसलिए उन्हें गुरू की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है।’’
पुलिस की कार्रवाई की विपक्ष की आलोचना को सिरे से खारिज करते हुए पुरी के शंकराचार्य ने कहा, ‘‘जो लोग पुलिस की कार्रवाई की आलोचना कर रहे हैं, वे स्वयं भ्रष्ट और सामूहिक हत्या के जिम्मेदार हैं। नरेन्द्र मोदी जैसे लोग ऐसा कह सकते हैं, उन्हें अपने कार्यो पर ध्यान देना चाहिए।’’ गौरतलब है कि कल सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश ने सिब्बल से मुलाकात की थी और रामदेव के खिलाफ कार्रवाई की निंदा की थी।
कपिल सिब्बल, दिग्विजय सिंह और अभिषेक मनु सिंघवी का नाम इतिहास में खलनायकों के रूप में लिखा जाना चाहिए। कॉंग्रेस का विघटन महात्मा गान्धी चाहते थे पर शायद उनकी मंशा पूरी करने वाला अब कॉंग्रेस के अन्दर ही आ बैठा है। बाबा रामदेव अगर लगी हुई आग बुझाने के लिए दमकल और स्वयंसेवकों की टोली ले के आये हैं तो ये तीनों जो राग आलाप रहे हैं उस के अर्थ है – हे राम देव आग बुझाने की चिंता छोड़ो पहले तो ये बताओ कि इस दमकल का पैसा तुम्हारे पास कहाँ से आया और जो स्वयंसेवकों की फोज तुम लेकर आये हो उनका चरित्र तो दागदार है अत: आग लगी है तो तुम परवाह ना करो पहले इन बातों का जबाब तो दो।
कट्टर पंथियों को एक मंच पर ला देने वाले किसी निहत्थे साधू की क्षमता का सम्मान करने के बजाय उसे साम्प्रदायिक बताना, अरबों खर्च करके भी सुशासन की बात कहने वाली सरकार के सामने स्वेच्छा से सहयोग करने वाले स्वयंसेवकों का उत्साही पहल करना जरा भी प्रशंसनीय नही है? दिग्विजय सिंह जैसे वक्ताओं की जुबान को ताला ना लगे तो ऐसे लोगों की वजह से जातीय चरित्र पर ऐतिहासिक सन्दर्भों को याद करके अंगुली ना उठे तो और क्या होगा? ओसामाजी के चेलों को एक रचनात्मक महत्वाकाँक्षी साधू ठग नजर आ रहा है। जरा सरकार 10 – 20 आई ए एस अफसरों की धरपकड़ करके दो चार उद्योगपतियों को अन्दर धर के अपनी सदाशयता का सबूत तो देती कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ ईमानदारी से काम कर रही है। 2जी स्पैक्ट्रम हो या राष्ट्रमंडल सोफ्ट टार्गेट पर हमला कर के सरकार अपनी कारगुजारियों से बच नही सकती|