धूमिल की मशहूर कविता है – एक आदमी रोटी बेलता है। एक आदमी रोटी खाता है। एक तीसरा आदमी भी है जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है। वह सिर्फ़ रोटी से खेलता है। थोड़े भिन्न अर्थ में कुछ यही अंदाज है पीटीसी इंडिया का। वह न बिजली बनाती है, न खुद बिजली सोखती है। वह सिर्फ बिजली से खेलती है, उसका व्यापार करती है। तार पर बहने और बैटरी में रखी जानेवाली अमूर्त चीज बिजली के व्यापार को अपना बिजनेस मॉडल बनाने वाली अनोखी कंपनी है पीटीसी इंडिया। पहले उसका नाम पावर ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड हुआ करता था। अब छोटा हो गया है।
पीटीसी इंडिया का गठन 1999 में सार्वजनिक क्षेत्र की चार कंपनियों – एनटीपीसी, एनएचपीसी, पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन और पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ने मिलकर किया। इनके पास अकेले-अकेले कंपनी के 4.07 फीसदी और कुल मुलाकर 16.27 फीसदी शेयर हैं। इसके अलावा एलआईसी ने इसकी 14.2 फीसदी इक्विटी ले रखी है। दामोदर वैली कॉरपोरेशन के पास 3.39 फीसदी, स्टेट बैंक के पास 2.73 फीसदी, रिलांयस कैपिटल के पास 6.16 फीसदी, एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ के पास 4.46 फीसदी, बजाज एलियांस लाइफ के पास 4.15 फीसदी और बिड़ला सनलाइफ के पास 1.02 फीसदी शेयर हैं।
इस तरह के कुल 14 बड़े निवेशकों के पास पीटीसी इंडिया के 42.41 फीसदी शेयर हैं। प्रवर्तक कंपनियों का हिस्सा जोड़ दें तो 58.68 फीसदी शेयर दिग्गज निवेशकों के पास हैं। म्यूचुअल फंडों को भी मिला दें तो घरेलू निवेशक संस्थाओं (डीआईआई) के पास कंपनी के कुल 46.80 फीसदी शेयर हैं। इसके अलावा इसके 16.91 फीसदी शेयर एफआईआई के पास हैं। दिसंबर 2010 से मार्च 2011 के बीच एफआईआई ने कंपनी में अपना निवेश 19.25 फीसदी से घटाकर 16.91 फीसदी और डीआईआई ने 48.68 फीसदी से घटाकर 46.80 फीसदी कर दिया है। कंपनी की कुल इक्विटी पूंजी 294.97 करोड़ रुपए है जो दस रुपए अंकित मूल्य के शेयरों में विभाजित है।
शायद पिछले कुछ महीनों में देशी-विदेशी संस्थाओं की बिकवाली ही वो वजह है कि पीटीसी इंडिया का शेयर (बीएसई – 532524, एनएसई – PTC) 2 नवंबर 2010 को 145.20 का शिखर छूने के बाद लगातार गिरता गया है। इसी महीने 20 जून 2011 को वह 52 हफ्ते के न्यूनतम स्तर 68.50 रुपए पर जा पहुंचा। फिलहाल 76.90 रुपए पर चल रहा है। वित्त वर्ष 2010-11 के नतीजों के अनुसार कंपनी का ईपीएस (प्रति शेयर मुनाफा) 4.70 रुपए है। इस तरह उसका शेयर 16.36 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। कंपनी की प्रति शेयर बुक वैल्यू उसके बाजार भाव के लगभग बराबर 74.60 रुपए है। कंपनी हर साल बराबर लाभांश देती रही है। उसकी लाभांश यील्ड 1.56 फीसदी है।
धंधे के विकास की बात करें तो पिछले तीन सालों में उसकी आय 27.45 फीसदी और मुनाफा 49.87 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ा है। मार्च 2011 की तिमाही में उसकी आय 67.23 फीसदी और शुद्ध लाभ 141.77 फीसदी बढ़ा है। पूरे वित्त वर्ष 2010-11 की बात करें तो कंपनी की आय 16.64 फीसदी बढ़कर 9063.24 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 47.94 फीसदी बढ़कर 139.21 करोड़ रुपए हो गया है। जाहिरा तौर पर कंपनी मजबूती से आगे बढ़ रही है और इसके शेयरों में वर्तमान स्तर पर निवेश लाभप्रद होगा।
आईसीआईसीआई सिक्यूरिटीज की एक रिसर्च रिपोर्ट का अनुमान है कि कंपनी का शेयर साल भर में आराम से 121 रुपए तक पहुंच सकता है। इस तरह इसमें करीब 57 फीसदी बढ़त की गुंजाइश है। एक बात और नोट करने की है कि कंपनी के ऊपर ऋण न के बराबर है। उसका ऋण इक्विटी अनुपात 0.08 है। ऊपर से उसके पास 650 करोड़ रुपए का विशाल कैश बैलेंस है जिसे वह जरूरी कामों में निवेश कर सकती है।
अंत में कुछ आम तथ्य। भारत एशिया में बिजली का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। 31 दिसंबर 2010 तक के आंकड़ों के अनुसार हमारी स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता करीब 1,69,749 मेगावॉट है। यह मांग से कम है। फिर भी कुछ राज्यों में बिजली की ओवर-सप्लाई है तो कुछ में भारी कमी है। पीटीसी इंडिया इस असंतुलन को पाटने का धंधा कर रही है। वह भारत के राज्यों से नहीं, नेपाल व भूटान जैसे पड़ोसी देशों से भी बिजली की खरीद-फरोख्त करती है। यही नहीं, वह देश में बिजली के पहले राष्ट्रीय एक्सचेंज की सह-प्रवर्तक भी है। केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी) ने उसे बिजली में असीम ट्रेडिंग के लिए कैटेगरी-1 का लाइसेंस दे रखा है।
Sir,
Can you provide details about tilak nagar industries. should i average it of book loss?
Regards,
Ajit Kumar