हमने निफ्टी में सारी लांग कॉल्स शुक्रवार को ही बंद कर दी थीं क्योंकि हमें अच्छी तरह पता था कि पी-नोट का मसला सप्ताहांत पर उछाला जाएगा। ऑपरेटर 65 लाख पुट यानी बेचने के ऑप्शंस सौदे कर चुके थे। इसलिए बाजार को कमजोरी के साथ ही खुलना था। निफ्टी साढ़े दस बजते-बजते 5195 तक चला गया जो 200 दिनों के मूविंग औसत (डीएमए) के बेहद करीब है। फिर बड़े स्टॉप लॉस लग गए और जो लोग लांग पोजिशन बनाना चाहते थे, उन्हें लांग सौदे करने का शानदार मौका मिल गया। निफ्टी 5174.90 तक गिरने के बाद आखिर में शुक्रवार से 1.78 फीसदी नीचे 5184.25 पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी मार्च फ्यूचर्स का आखिरी भाव 5191 और अप्रैल फ्यूचर्स का आखिरी भाव 5236.40 रहा।
मैंने शुक्रवार की टिप्पणी में भी पी-नोट के मुद्दे की चर्चा की थी। अब यह सुर्खियों में आ गया है और कहा जा जा रहा है कि इससे एफआईआई द्वारा पी-नोट के जरिए भारत में किया गया करीब 1.8 लाख करोड़ रुपए का निवेश टैक्स की मार में आ सकता है। लेकिन इससे एफआईआई तो नहीं, ट्रेडरों के बीच जरूर अफरातफरी मचा गई। असल में भले ही भारत की सरकार 4.75 लाख करोड़ रुपए बाजार से उधार जुटा रही हो और इसका राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6 फीसदी तक पहुंच रहा हो, तब भी एफआईआई उसे पसंद करते हैं।
मुझे नहीं लगता कि जब तक हम भारतीय 1942 के भारत छोड़ो जैसा आंदोलन नहीं करेंगे, तब तक एफआईआई भारत छोड़कर जाएंगे। लेकिन ऐसे आंदोलन के लिए हमें खुद अपनी सरकार से निपटना होगा क्योंकि हमारी अधिकांश नीतियां अब भी एफआईआई की पक्षधर हैं। एक बात और गौर करने लायक है कि कैपिटल गेन्स पर टैक्स लगाना एफआईआई के लिए कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि वे हर सेटलमेंट जबरन उतार-चढ़ाव पैदाकर बढ़ने या गिरने दोनों ही सूरत में 30 फीसदी से ज्यादा की कमाई कर रहे हैं।
उनके लिए परेशानी की जो असली बात है, वो है उनके निवेशकों की पहचान का खुल जाना। मोटे तौर पर सारी दुनिया जानती है कि ज्यादातर एफआईआई राजनीतिक धन के मुखौटे हैं और कर-मुक्त देशों में ठौर बनाकर वापस भारत में घुस रहे हैं। बहुत ही कम सच्चे दीर्घकालिक एफआईआई है जो अमूमन खास नुकसान नहीं करते हैं क्योंकि उनका नजरिया हमेशा लंबे समय का होता है।
एक बड़ा सवाल मेरे जेहन में नाच रहा है कि ये सारे मसले डेरिवेटिव सौदों के सेटलमेंट की ठीक एक्सपायरी से पहले सायास उछाले गए? ये प्रावधान तो 16 मार्च को ही बजट में घोषित कर दिए गए थे, फिर मीडिया और एफआईआई इन पर 26 मार्च को हल्ला क्यों मचा रहे हैं? अब तो इसके बाद प्यारा-सा एक अप्रैल आ जाएगा और हम सभी अप्रैल-फूल बन जाएंगे क्योंकि पी-नोट के मसले पर तब कोई बात नहीं करेगा। तीन दिन में उनका सारा खेल हो जाएगा। इसके बाद हम बहुत तेजी से निफ्टी को 5400 पर पहुंचता हुआ देखेंगे।
जब तक एनएसई स्टॉक डेरिवेटिव्स में फिजिकल सेटलमेंट लागू नहीं करता, तब तक बाज़ी बड़े उस्तादों के हाथ में बनी रहेगी और वे एफ एंड ओ सेगमेंट में शामिल 220 स्टॉक्स के जरिए पूरे बाजार को नचाते रहेंगे। ट्रेड करने का जुनून आपको कहीं और देखने नहीं देगा। इसलिए हमेशा उसकी कीमत चुकाने को तैयार रहें।
जयप्रकाश एसोसिएट्स ने चुनाव नतीजों के दिन 6 मार्च को 66.15 रुपए का तल्ला पकड़ा था। उसके बाद उसने कभी पलटकर पीछे नहीं देखा। आज ऊपर में 82.15 रुपए तक चला गया। मैं दांव लगा सकता हूं कि यह स्टॉक तीन महीने में 130 रुपए को पार कर जाएगा। आईवीआरसीएल जल्दी ही खबरों में आनेवाला है। रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) का प्रबंधन अब खुद निचले स्तरों पर खरीदारी में जुट गया है क्योंकि यह शेयर आधिकारिक बायबैक मूल्य (870 रुपए) से काफी डिस्काउंट पर (728 रुपए) चल रहा है। वैसे, सारे बायबैक का इस समय यही हाल है। कमाल है? अपुष्ट चर्चाओं के मुताबिक रैनबैक्सी में कोई बड़ी घोषणा हो सकती है। आईएफसीआई, सेंचुरी टेक्सटाइल्स, बॉम्बे डाईंग, डिश टीवी, एंड्रयू यूल व एस्सार पोर्ट्स कुछ अन्य स्टॉक्स हैं, जिन पर आप नज़र रख सकते हैं।
संयोग हमेशा बलवान होता है। इसलिए अपना कांटा हमेशा तैयार रखें। हो सकता है कि जहां से आपको सबसे कम उम्मीद हो, उसी तालाब से मछलियों की भरमार लग जाए।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए अनाम है। वह अंदर की बातें आपके सामने रखता है। लेकिन उसमें बड़बोलापन हो सकता है। आपके निवेश फैसलों के लिए अर्थकाम किसी भी हाल में जिम्मेदार नहीं होगा। यह मूलतः सीएनआई रिसर्च का कॉलम है, जिसे हम यहां आपकी शिक्षा के लिए पेश कर रहे हैं)