प्रधानमंत्री के सलाहकार सैम पित्रोदा की अध्यक्षता में रेल मंत्रालय द्वारा भारतीय रेल के आधुनिकीकरण के लिए गठित विशेषज्ञ समूह ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी को सौंप दी। उसके द्वारा प्रस्ताविक आधुनिकीकरण की कुल अनुमानित लागत 5,60,396 करोड़ रुपए है। इसका एक अंश उसने यात्रियों पर सरचार्ज लगाकर जुटाने को कहा है। उसका कहना है कि भारतीय रेल को अपने उपक्रमों के विनिवेश के साथ ही धन जुटाने के दूसरे उपायों पर भी गौर करना चाहिए।
लेकिन इस रिपोर्ट को स्वीकार करने के बाद रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने अपनी पार्टी तृलमूल कांग्रेस की नीतियों के अनुरूप ऐलान किया कि, “भारतीय रेल हमेशा 200 फीसदी सरकार की ही रहेगी।” उन्होंने भारतीय रेल के निजीकरण की किसी भी संभावना से इनकार किया। बता दें कि सैम पित्रोदा की अध्यक्षता में इस समिति का गठन सितंबर 2011 में किया गया था। इसके सदस्यों में एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारिख, भारतीय स्टेट बैंक के पूर्व चेयरमैन एम एस वर्मा, आईआईएम अहमदाबाद के प्रोफेसर जी रघुराम, आईडीएफसी के प्रबंध निदेशक डॉ. राजीव लाल, इन्फ्रास्ट्रक्चर सर्विसेज के चेयरमैन (फीडबैक) विनायक चटर्जी और रेलवे बोर्ड के सलाहकार (इंफ्रास्ट्रक्चर) रंजन जैन शामिल थे।
सैम पित्रौदा ने भारतीय रेल के आधुनिकीकरण के बारे में शिकागो से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रजेंटेशन दिया। उनकी रिपोर्ट की कुछ मुख्य सिफारिशें हैं: मौजूदा 19000 किलोमीटर पटरियों का आधुनिकीकरण, तेज गति पर अधिक भार सहने के लिए 11250 पुलों को मजबूत करना, सारी लेवल क्रॉसिंग खत्म करना, 9000 व 12,000 हॉर्स पावर के इलेक्ट्रिक इंजन और 5500 हॉर्स पावर के उच्च क्षमता वाले डीजल इंजन लाना, 160-200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाले हाईस्पीड एलएचबी कोच लाना, सभी पैसेंजर ट्रेनों पर ग्रीन शौचालय बनाना, 100 प्रमुख स्टेशनों का आधुनिकीकरण, 34 मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स विकसित करना, रियल टाइम सूचना प्रणाली की स्थापना, 342 रेलवे स्टेशनों पर इंटरनेट की सुविधा, अगले दस साल में 6200 किलोमीटर क्षेत्र में उत्तर-दक्षिण, पूर्व-पश्चिम, पूर्वी तट व दक्षिणी समर्पित माल भाड़े गलियारे का निर्माण, अहमदाबाद और मुम्बई के बीच 300 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के लिए हाईस्पीड रेलवे लाइन का निर्माण।
विशेषज्ञ दल का कहना है कि रेलवे बोर्ड का पुनर्गठन किया जाना चाहिए और इसमें चेयरमैन की जगह सीईओ को लाया जाना चाहिए। उसकी रिपोर्ट के मुताबिक जहां रेलवे के आधुनिकीकरण के लिए 5,60,396 करोड़ रुपए चाहिए, वहीं रेलवे के सब-ग्रुप ने अन्य निवेश के लिए 4,42,744 करोड़ रुपए की जरूरत बताई है। इस तरह कुल जरूरत 10,03,140 करोड़ रुपए की है। इसमें से 8,39,000 करोड़ रुपए का निवेश 12वीं पंचवर्षीय योजना में चाहिए होगा और 1,64,140 करोड़ रुपए का निवेश 13वीं पंचवर्षीय योजना में किया जा सकता है।
समिति के मुताबिक 12वीं योजना के लिए 8,22,671 करोड़ रुपए जुटाए जा सकते हैं। इसमें से 2,50,000 करोड़ सकल बजट समर्थन से, 2,01,805 करोड़ रुपए रेलवे के आंतरिक स्रोतों से, 1,01,000 करोड़ लीजिंग या उधार से, 2,29,024 करोड़ रुपए पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) परियोजनाओं से, 24,000 करोड़ लाभांश रियायत से और 16,842 करोड़ रुपए रेलवे सेफ्टी फंड से जुटाए जा सकते हैं। बाकी बचे 16,469 करोड़ रुपए का इंतजाम यात्रियों पर अधिभार लगाकर किया जाना चाहिए।