देश की आबादी हुई 121 करोड़, यूपी महाराष्ट्र मिलाकर अमेरिका पर भारी

देश की जनसंख्या बीते एक दशक में 18.1 करोड़ बढ़कर अब 121 करोड़ हो गई है। जनगणना के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश में पुरुषों की संख्या अब 62.37 करोड़ और महिलाओं की संख्या 58.64 करोड़ है।

जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रयास कर रहे देश के लिए अच्छी खबर यह है कि आबादी की वृद्धि दर में कमी दर्ज की गई है। वर्ष 1991 की गणना में आबादी में 23.87 फीसदी की वृद्धि देखी गयी थी, 2001 में 21.54 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गयी, जबकि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार बीते एक दशक में आबादी 17.64 फीसदी ही बढ़ी है। इस तरह जनसंख्या वृद्धि दर में निरंतर गिरावट दर्ज की गई है। बीते एक दशक में वृद्धि दर में 3.90 फीसदी की कमी आई है।

केंद्रीय गृह सचिव जी के पिल्लै और भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त सी चंद्रमौली द्वारा गुरुवार को राजधानी दिल्ली में जारी जनगणना 2011 के ‘अनंतिम’ आंकड़ों के अनुसार, अब भारत की 1.21 अरब की आबादी अमेरिका, इंडोनेशिया, ब्राजील, पाकिस्तान और बांग्लादेश की कुल आबादी से भी ज्यादा है।

ताजा आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश अब भी देश में सर्वाधिक आबादी वाला राज्य है। अगर उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के आंकड़ों को मिला दिया जाए तो दोनों राज्यों की कुल आबादी अमेरिका की जनसंख्या से अधिक होगी। फिलहाल उत्तर प्रदेश की आबादी 19.95 करोड़ है। वहीं, बिहार की जनसंख्या 10.38 करोड़ है। सर्वाधिक आबादी वाले पांच राज्यों में उत्तर प्रदेश और बिहार के साथ ही महाराष्ट्र (11.23 करोड़), पश्चिम बंगाल (9.13 करोड़) और आंध्र प्रदेश (8.46 करोड़) शामिल है।

अनंतिम आंकड़ों के अनुसार, आबादी में महिला-पुरुष के अनुपात में सुधार हुआ है। पिछली जनगणना के मुताबिक देश में प्रति एक हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 933 थी जो एक दशक में बढ़कर अब 940 हो गयी है। आबादी में पुरुषों की संख्या 51.54 फीसदी और महिलाओं की संख्या 48.46 फीसदी है। लेकिन इसके बावजूद छह वर्ष तक की उम्र के बच्चों में लिंगानुपात में आजादी के बाद से सर्वाधिक गिरावट देखी गई है। वर्ष 2001 की जनगणना में छह वर्ष तक की उम्र के बच्चों में प्रति एक हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या 927 थी लेकिन वर्ष 2011 के आंकड़ों के अनुसार एक दशक में इस आयुवर्ग में लिंगानुपात घटकर 914 हो गया है।

बच्चों के बीच लड़कों-लकड़ियों के अनुपात में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, तमिलनाड़ु, मिजोरम और अंडमाण निकोबार द्वीप में कुछ सुधार देखा गया है। शेष 27 राज्यों और संघशासित प्रदेशों में बाल लिंगानुपात में 2001 के आंकड़ों की तुलना में कमी दर्ज की गई है।

नोट करने की बात यह है कि जनसंख्या को काबू नहीं कर पा रहे उत्तर प्रदेश और बिहार सहित देश के सर्वाधिक आबादी वाले आठ राज्यों में पहली बार आबादी की वृद्धि दर में गिरावट दर्ज की गयी है। उत्तर प्रदेश और बिहार की जनसंख्या वृद्धि दर में बीते एक दशक में क्रमश: पांच और तीन फीसदी कमी आयी है। जनगणना आयुक्त सी. चंद्रमौली के अनुसार, पहली बार उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, उत्तराखंड, झारखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में आबादी वृद्धि दर में गिरावट आयी है।

जनसंख्या नियंत्रण के मामले में पिछड़ रहे इन आठ राज्यों को केंद्र सरकार ने 2001 में ‘सशक्तीकरण कार्य समूह’ वाले राज्यों में शामिल किया था ताकि वहां जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए क्षेत्र आधारित कार्यक्रम चलाये जा सकें। वर्ष 2001 में इन आठ राज्यों की आबादी में हिस्सेदारी 45 फीसदी थी।

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