बताकर खराब, खुद खरीदे जा रहे हैं!

विश्व कप का उन्माद अब भी भारतीय पूंजी बाजार पर छाया है। तेजी का सिलसिला जारी है। अचानक तीन बजे के आसपास बाजार ने एक गोता लगाया था। लेकिन अंत में निफ्टी व सेंसेक्स दोनों ही 0.80 फीसदी की बढ़त लेकर बंद हुए। आश्चर्य की बात तो यह है कि ताईवान व कोरिया के बाजार 2008 की ऊंचाई को पार कर गए हैं। यहां तक कि डाउ जोन्स भी भारी मूल्यांकन के साथ अब तक के ऐतिहासिक शिखर के पार चला गया है।

कमाल की बात यह है कि एफआईआई फिर भी भारतीय शेयर बाजार को डाउनग्रेड किए जा रहे हैं इस आधार पर कि यहां मूल्यांकन बहुत चढ़ा हुआ है। क्रिकेट के मैदान पर हमने साबित कर दिया कि हम फिरंगियों के गुलाम नहीं हैं। लेकिन पूंजी बाजार में हम अब भी उनके गुलाम बने हुए हैं और एफआईआई के दबदबे व रहमोकरम पर जी रहे हैं। इसे भारतीय निवेशकों की ताकत से किसी न किसी दिन खत्म करना ही होगा।

पिछले छह दिनों में ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेड फंडों) ने 3600 करोड़ रुपए के स्टॉक्स खरीदे हैं। बाजार इस समय अगस्त 2010 के स्तर से 1400 अंकों की रिकॉर्ड बढ़त ले चुका है। इस बीच पहली बार भारतीय मीडिया ने महसूस किया है कि भारतीयों को उल्लू बनाया जा रहा है। मुझे इस बात का अहसास तब हुआ जब एक जानेमाने पत्रकार ने मुझसे पूछा कि जब हर कोई बाजार को डाउनग्रेड कर रहा है तब खरीद इतनी ज्यादा कैसे हो रही है? मेरा जवाब था – यह भारत है और यहां छोटे व रिटेल निवेशकों के हितों की रक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है। सरकार की कथनी और करनी भिन्न है। यहां कोई भी आचार संहिता नहीं है और शायद इसका बेजा इस्तेमाल भारतीय पूंजी बाजार की बाजार संचालित मूल्य प्रणाली को तोड़ने-मरोड़ने में किया जा रहा है।

कल नौ ब्रोकरों ने दावा किया कि उन्हें बीएसई ने पत्र लिखकर निर्देश दिया है (हालांकि किसी ने भी यह पत्र नहीं दिखाया) कि वे टी ग्रुप का एक स्टॉक नहीं खरीद सकते। असल में एक निवेशक इस कंपनी के बारे में तेजी की सोच रखता है और वो इसके शेयर खरीदना चाहता है। इस निवेशक का कहना है कि उसने एक्सचेंज के अधिकारियों से बात की है जिन्होंने कहा कि उन्होंने किसी भी ब्रोकर को खरीद से मनाही का निर्देश नहीं दिया है, बल्कि सावधान किया है। यह कंपनी पहले ही सेबी से दरखास्त कर चुकी है कि उसके स्टॉक को बी ग्रुप में ले जाया जाए ताकि निवेशकों को निकलने का मौका मिल सके।

अब आप मुझे बताइए कि यह निकलना कैसे हो सकता है? ब्रोकर ऐसा करने नहीं दे रहे। एक्सचेंज कहता है कि बस सावधान किया है। वोल्यूम के 10 फीसदी से ऊपर खरीद रोक देने का कोई सर्कुलर नहीं है। लेकिन ब्रोकर कहते हैं कि उन्हें जुबानी निर्देश मिला हुआ है। केवल सिक्यूरिटीज कांट्रैक्ट एक्ट में ऐसा प्रावधान है कि अगर किसी स्टॉक में असामान्य वोल्यूम हो रहा हो तो एक्सचेंज इस बारे में नियम बना सकते हैं। यह व्यवहार में स्टॉक एक्सचेंजों के वोल्यूम को नियंत्रित करने की बात हो गई, जबकि यह एक्सचेंजों का काम नहीं है।

असल में, अगर ऐसा मामला हो तो एक्सचेंज को संबंधित कंपनी को डि-लिस्ट कर देना चाहिए ताकि निवेशक उसके शेयर ही न खरीद सकें। जब तक कोई शेयर लिस्टेड है, तब अपने धन से उन्हें खरीदने पर कोई बंदिश नहीं होनी चाहिए। हां, अगर कोई दूसरे से धन लेकर खरीद करता है तो धन मुहैया करानेवाले के साथ-साथ ब्रोकर के हितों की रक्षा के लिए पर्याप्त सतर्कता बरती जानी चाहिए।

अब फिर से बाजार पर लौटा जाए। मैं यकीनन बाजार को लेकर तेजी की धारणा रखता हूं। लेकिन एकदम से सातवें आसमान पर नहीं चढ़ जाना चाहता। बाजार ने कम वक्त में 5400 से लेकर 5850 तक का लंबा सफर तय किया है। इसलिए उसे थोड़ा दम मारने दीजिए। दूसरे, 2 अप्रैल को 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर सीबीआई अपनी चार्जशीट दाखिल करेगी। उस दिन शनिवार है। इसलिए सोमवार को बाजार कैसा रहेगा, इस पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगा हुआ है। यही वजह है कि मैं नहीं चाहता कि आप तब तक लांग रहें। अगर सब कुछ ठीक रहता है तो हम सोमवार को फिर से एंट्री कर सकते हैं। तब तक थोड़ा हाथ बांधकर चलें। विश्व कप फाइनल में ‘राम-रावण’ के मुकाबले का मजा लें। कहा जा रहा है कि अभी तक एस अक्षर से नाम की शुरुआत वाले सभी कप्तान विश्व कप से बाहर हो चुके हैं और एस अक्षर का बचा हुआ कप्तान शनिवार को बाहर हो जाएगा।

बुद्धिमत्ता की किताब का पहला अध्याय ईमानदारी से शुरू होता है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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