हम सब अपने ही नाथ हैं। खुद ही सब करना या पाना है। कहते हैं कि भगवान सभी का नाथ है। लेकिन भगवान तो महज एक मान्यता है। मन का धन है। अन्यथा तो हम सभी अनाथ हैं। कहा भी गया है कि मानिए तो शंकर हैं, कंकर हैं अन्यथा।
2012-08-31
हम सब अपने ही नाथ हैं। खुद ही सब करना या पाना है। कहते हैं कि भगवान सभी का नाथ है। लेकिन भगवान तो महज एक मान्यता है। मन का धन है। अन्यथा तो हम सभी अनाथ हैं। कहा भी गया है कि मानिए तो शंकर हैं, कंकर हैं अन्यथा।
© 2010-2025 Arthkaam ... {Disclaimer} ... क्योंकि जानकारी ही पैसा है! ... Spreading Financial Freedom