शेयर का सिर्फ गिर जाना ही पर्याप्त नहीं

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के निकलने से अपना शेयर बाज़ार डूब रहा है या डुबकी लगा रहा है? जवाब है कि बाज़ार कतई डूब नहीं रहा। वो केवल डुबकी लगा रहा है ताकि फिर और ज़ोर-शोर से ज्यादा ठोस धरातल से उछाल मार सके। यह भी साफ होना चाहिए कि सूचकांकों के गिरने से कंपनियां खुद-ब-खुद सस्ती नहीं हो जातीं और न ही उनके शेयर के भाव घट जाने से उनके बिजनेस और मुनाफे की भावी संभावना चमक जाती है। थोड़े समय में धन के आने या निकलने से शेयर के भाव ऊपर-नीचे हो सकते हैं। लेकिन लम्बे समय में कंपनी के बिजनेस में बरक्कत और मुनाफा बढ़ने से ही उसके शेयर बढ़ते हैं। इसलिए महज भाव गिरने से किसी शेयर को लपक नहीं लेना चाहिए। यह भी हो सकता है कि वो शेयर आगे और गिरता चला जाए। यह भी तय मानें कि हम-आप या कोई भी धुरंधर विशेषज्ञ पक्का नहीं बता सकता है कि शेयरों की अगली चाल क्या होगी। इसका बस अंदाजा लगाया जा सकता है जो पूरी तरह गलत भी हो सकता है। इसलिए हमें कारण पता होना चाहिए कि किसी कंपनी के शेयर क्यों और कब खरीद रहे हैं। अब तथास्तु में आज की कंपनी…

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