इस समय केंद्रीय कृषि मंत्रालय देश भर में खेती-किसानी से जुड़ी 19 तरह की 50 से ज्यादा स्कीमें चलाता है। लेकिन अगले साल 2012 से शुरू हो रही 12वीं पंचवर्षीय योजना में इनकी संख्या घटाकर मात्र आठ कर दी जाएगी। ये वैसी स्कीमें हैं जिन्हें केंद्र सरकार प्रायोजित करती है। बाकी स्कीमों का जिम्मा राज्य सरकारों पर छोड़ दिया जाएगा। वे चाहें तो चलाएं और चाहें तो बंद कर दें।
यह स्पष्ट किया है कृषि सचिव पी के बसु ने। बसु का कहना है कि मंत्रालय ने तय किया है कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना को जस का तस रखा जाएगा। लेकिन केंद्र की तरफ से चलाई जा रही बाकी 52 स्कीमों को सात प्रमुख योजनाओं में समेट दिया जाएगा। इनका निर्धारण राष्ट्रीय प्राथमिकता के हिसाब से किया जाएगा।
कृषि मंत्री शरद पवार ने पिछले हफ्ते एक बैठक में यह फैसला योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया तक पहुंचा दिया है और दोनों में इस पर सहमति बन गई है। बसु के मुताबिक योजना आयोग ने इस बाबत बी के चतुर्वेदी की अध्यक्षता में एक समिति भी बना दी है जो बताएगी कि केंद्र द्वारा प्रायोजित कृषि स्कीमों को कैसे आपस में मिलाकर कम किया जाए।