यह सेबी और स्टॉक एक्सचेंजों की नई व्यवस्था की पहली परीक्षा थी और दोनों ही इसमें फेल हो गए। इससे सरकार भी बड़ी किरकिरी हुई क्योंकि गुरुवार देर रात तक साफ नहीं हो पाया कि ओएनजीसी में सरकार के 5 फीसदी शेयर बेचने की पेशकश पूरी हुई है या नहीं। पहले विनिवेश विभाग के अतिरिक्त सचिव सिद्धार्थ प्रधान ने दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस करके बताया कि 42,77,75,504 शेयरों की नीलामी पूरी संपन्न हो गई है। लेकिन सिस्टम में गड़बड़ी के कारण यह स्टॉक एक्सचेंजों में दर्ज नहीं हो पाई है।
इसके बाद बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने एक संयुक्त विज्ञप्ति जारी करके बताया कि ओएनजीसी के शेयरों की अंतिम मांग 42.04 करोड़ शेयरों की रही है, जबकि पेशकश 42.77 करोड़ शेयरों की थी। हालांकि 3.30 बजे बाजार बंद होने तक दोनों ही स्टॉक एक्सचेंजों में 29.22 करोड़ शेयरों की ही मांग दिखी, लेकिन खरीद के तमाम ऑर्डर तत्काल पुष्ट नहीं किए जा सके और कस्टोडियन ने उन्हें गलती से खारिज कर दिया। इस गलती को सुधारने के बाद ओएनजीसी के कुल 42.04 करोड़ शेयरों की मांग दर्ज की गई है।
एक्सचेंजों का कहना है कि उन्होंने बाजार की सामान्य अवधि के खत्म होने के बाद आए खरीद के ऑर्डरों व रकम पर विचार नहीं किया है। लगता है कि इधर-उधर पूरा इश्यू भर ही लिया जाएगा। एक्सचेंजों ने दावा किया है कि उनके सिस्टम ने एकदम सामान्य तरीके से काम किया और उसमें कोई ग्लिच नहीं आई। लेकिन सरकार सिस्टम की खराबी पर उंगली उठा चुकी है। सूत्रों के मुताबिक सेबी से जवाब-तलब किया गया है कि सब कुछ इतना हॉचपॉच कैसे हो गया।
बता दें कि शाम को यही खबर आई थी कि ओएनजीसी में सरकार की पांच फीसदी हिस्सेदारी बेचने के प्रस्ताव पर हुई नीलामी में 29.22 करोड़ शेयरों के लिए करीब 8500 करोड़ रुपए की बोली लगी है और 12,500 करोड़ रुपए का लक्ष्य करीब दो-तिहाई ही पूरा हो पाया है। लेकिन इसके बाद ऊपर से लेकर नीचे तक सनसनी फैल गई। आखिरकार दस बजे के आसपास स्थिति स्पष्ट हो सकी।
गुरुवार को बोली प्रक्रिया की शुरुआत ही कमजोर रही और पहले घंटे में सिर्फ 37,500 शेयरों की बोली लगी। 3.20 बजे तक मामला कुल 1,43,85,097 शेयरों की नीलामी तक पहुंच पाया। फिर घंटों तक इंतजार होता रहा है कि स्टॉक एक्सचेंज कब अंतिम आंकड़े पेश करते हैं। खैर, अब इस नीलामी के पूरा हो जाने के बाद ओएनजीसी में सरकार की इक्विटी हिस्सेदारी 74.14 फीसदी से घटकर 69.14 फीसदी पर आ जाएगी। इस बीच सिद्धार्थ प्रधान ने कहा कि सरकार की तरफ से एसबीआई या एलआईसी पर ओएनजीसी में निवेश के लिए कोई दबाव नहीं डाला गया है।