कहा जा रहा है कि एफआईआई दुखी हैं। फंड मैनेजर परेशान हैं। हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। गार (जनरल एंटी एवॉयडेंस रूल) और वोडाफोन जैसे सौदों पर पिछली तारीख से टैक्स लगाने से उनको भ्रमित कर दिया है। इस साल जनवरी से मार्च तक हर महीने भारतीय शेयर बाजार में औसतन तीन अरब अरब डॉलर लगानेवाले एफआईआई ठंडे पड़ने लगे हैं। सेबी के मुताबिक उन्होंने अप्रैल में अभी तक इक्विटी बाजार में 10.69 करोड़ डॉलर का ही शुद्ध निवेश किया है।
ये तो कैश बाजार की बात है। अगर डेरिवेटिव सौदों की बात करें तो हालत ज्यादा संगीन नज़र आती है। मार्च में फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस के कारोबार में एफआईआई का रोजाना का औसत योगदान 50,650 करोड़ रुपए हुआ करता था। अप्रैल में यह पिछले हफ्ते तक 44.5 फीसदी घटकर 28,100 करोड़ रुपए पर आ गया। लेकिन इस हफ्ते से स्थिति कुछ बदली-बदली दिख रही है। सोमवार को एनएसई में एफ एंड ओ का कुल कारोबार 1,63,080.44 करोड़ रुपए का रहा, जिसमें से एफआईआई का योगदान 56,228.24 करोड़ रुपए यानी, 34.5 फीसदी का रहा है। आज, मंगलवार को एफ एंड ओ का कुल वोल्यूम एनएसई में 1,50,123.31 करोड़ रुपए का है जिसमें एफआईआई का योगदान लगभग एक-तिहाई का है। कैश बाजार में एफआईआई की औसत हिस्सेदारी 17 फीसदी रहती है।
एक बात जान लें कि आगे का सीन यकीनन साफ नहीं होता। लेकिन जो बीत गया है, उसकी रत्ती-रत्ती तहकीकात पारदर्शिता के माहौल में की जा सकती है। हां, शर्त यही है कि सब कुछ पारदर्शी होना चाहिए। अगर हम गौर करें तो एफ एंड ओ का बाकी दो-तिहाई कारोबार भारतीय म्यूचुअल फंड और ऑपरेटरों व अन्य ट्रेडरों का है। एफ एंड ओ सौदों की एक्सपायरी 26 अप्रैल को होनी है तो अचानक सक्रियता बढ़ गई है। लेकिन यहां आंकड़ों का ऐसा घटाटोप है कि बहुत साफ तस्वीर नहीं उभर कर आती।
रोलओवर का दौर शुरू हो चुका है। अप्रैल के सौदे मई में ले जाए जा रहे हैं। आज मंगलवार को निफ्टी के अप्रैल फ्यूचर्स के 3,30,320 कांट्रैक्ट हुए तो मई फ्यूचर्स के 1,56,216 कांट्रैक्ट। इससे जाहिर होता है कि रोलओवर ठीकठाक जा रहा है। इस बीच बाजार में आज हल्ला रहा कि निफ्टी 5180 का स्तर तोड़कर नीचे चला जाएगा। इसके लिए बहुत सारी अफवाहों का सहारा लिया गया। लेकिन 11 बजे के बाद बाजार उठा तो उठता ही चला गया। निफ्टी यूं तो नीचे में 5180.35 तक चला गया था। मगर बंद हुआ, 0.42 फीसदी की बढ़त लेकर 5222.65 पर। निफ्टी अप्रैल फ्यूचर्स का आखिरी भाव 5229.65 और मई फ्यूचर्स का आखिरी भाव 5264 रहा है। हालांकि हमें तो यही लगता है कि एफ एंड ओ आम निवेशकों व ट्रेडरों के लिए बिछाए गए जाल से कम नहीं है जिसमें पंछी फंस गया तो सारे पंख तुड़वाकर ही निकल पाएगा। इसलिए उनको यहां से दूर ही रहना चाहिए।
बाकी हाल यह रहा कि टीसीएस के नतीजों ने आईटी कंपनियों के लिए बना पस्त माहौल बदल दिया है। टीसीएस मंगलवार को 12.84 फीसदी की शानदार बढ़त लेकर 1195.25 रुपए पर बंद हुआ है। हालांकि इनफोसिस मात्र 1.58 फीसदी बढ़ा। टीआरएआई के फैसले के बाद भारती एयरटेल से लेकर रिलायंस कम्युनिकेशंस जैसे टेलिकॉम कंपनियों में पस्ती नजर आई। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वो 2जी रेडियो स्पेक्ट्रम की नीलामी 31 अगस्त तक करे। इससे लाइसेंस निरस्त होनेवाली कंपनियों को थोड़ा और वक्त मिल गया है। ऐसी कंपनियां अब 7 सितंबर तक कामकाज कर सकती है।
उधर, सीमेंट कंपनियों को डर है कि प्रतिस्पर्धा आयोग (सीआईआई) उनके पर कार्टेल बनाकर दाम चढ़ाने का फैसला सुनाएगा तो एसीसी से लेकर अंबुजा सीमेंट्स और मद्रास सीमेंट्स तक के शेयरों पर दबाव आ गया है। लेकिन इसी बीच कहीं से सूत्रों के हवाले खबर आ गई कि सरकार सैद्धांतिक स्तर पर डीजल से मूल्य-नियंत्रण उठाने को तैयार हो गई है तो इंडियन ऑयल (1.86 फीसदी), भारत पेट्रोलियम (1.92 फीसदी) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम का शेयर 1.87 फीसदी बढ़ गया।
बाकी बाजार के बारे में जानकारों का कहना है कि भले ही आज निफ्टी में थोड़ी बढ़त दर्ज की गई है। लेकिन यह कल से ज्यादा नीचे भी चला गया। इसलिए बिकवाली का दबाव बना रह सकता है। यहां से गिरने पर प्रतिरोध के दो स्तर हैं। पहला 5145 पर और दूसरा 5080 पर। बाकी कुछ खास नहीं, बस इतना कि…
सब कुछ आंखों के सामने होते हुए तब तक कुछ नहीं दिखता जब तक हमें चीजों की सही पहचान नहीं होती या उनके अंतर्संबंधों का ज्ञान नहीं होता।