छह साल बाद पिघला चीन, लेगा भारतीय बासमती

छह साल तक चली आनाकानी और लंबी सरकारी प्रक्रिया के आखिरकार चीन ने भारत से बासमती चावल के आयात को मंजूरी दे दी। चीन में इस मामले से संबंद्ध शीर्ष संस्था ने बीते हफ्ते ही घोषणा कर दी कि वह भारत से बासमती चावल के आयात की इजाजत दे रहा है। बता दें कि चीन दुनिया का सबसे बड़ा चावल बाजार है। वह अभी तक बासमती चावल पाकिस्तान से आयात करता रहा है। साथ ही थाईलैंड से भी वह बड़ी मात्रा में चावल मंगाता है।

चीन में बासमती चावल भेजने की कोशिश में भारत उस समय से लगा था, जब साल 2006 में चीनी राष्ट्रपित हू जिनताओ भारत यात्रा पर आए थे। अभी पिछले महीने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान भी इस मसले को अंतिम रूप देने की कोशिश की गई है।

चीन को भारतीय निर्यातकों की तरफ से बासमती चावल भेजना तभी शुरू हो सकता है जब दोनों देश इसके सुरक्षित होने को लेकर सहमत हो जाते हैं। इसके लिए पहले क्वैरेंटाइन प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। फिर चीन यह प्रमाणपत्र सारे बंदरगाहों और कस्टम अधिकारियों तक पहुंचा देगा। इसी के बाद भारत से बासमती चावल का भेजना शुरू हो पाएगा। फिर भी भारतीय बासमती चावल निर्यातकों के लिए यह अच्छी खबर है। यही वजह है कि केआरबीएल जैसी लिस्टेड कंपनी के शेयर मंगलवार को एकबारगी 6.85 फीसदी बढ़ गए।

भारतीय उद्योग का मानना है कि इससे भारत को 5 से 10 करोड़ डॉलर का धंधा ही मिल पाएगा। कारण, चीन में उसे पाकिस्तान के बासमती चावल से होड़ लेनी पड़ेगी। दूसरे वहां फाइव स्टार होटलों और गिने-चुने भारती रेस्टोरेंटों से ही नई मांग निकलने की उम्मीद है। चीन में चॉपस्टिक से खाए जा सकनेवाले मोटे चावल ही ज्यादा चलते हैं।

बीजिंग में भारतीय दूतावास के अधिकारियों ने भी स्वीकार किया कि भारतीय निर्यातकों को चीन के बाजार में जगह बनाने के लिए खासी मशक्कत करनी होगी क्योंकि अभी चीन में थाईलैंड का चावल ज्यादा प्रचलित हैं। वैसे, भारतीय दूतावास चीन में भारतीय बासमती को लोकप्रिय बनाने के लिए प्रचार अभियान शुरू करने की योजना बना रहा है।

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