सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के विनिवेश से हुई अब एक लाख करोड़ रुपए के ऐतिहासिक आंकड़े के पार होने जा रही है। इस हफ्ते 10 मई को खुल रहे पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) के साथ सरकार यह आंकड़ा हासिल कर लेगी।
पीएफसी के एफपीओ के जरिए सरकार अपनी पांच फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री करेगी, जिससे उसे 1100 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा कंपनी के 15 फीसदी नए शेयर जारी किए जाएंगे, जिससे 3300 करोड़ रुपए और मिलेंगे। पीएफसी का एफपीओ 10 मई को खुलकर 13 मई को बंद होगा।
पीएफसी में 1100 करोड़ रुपए के शेयरों की प्रस्तावित बिक्री के बाद सरकार की विनिवेश से कुल आमदनी एक लाख करोड़ रुपए के आंकड़े को पार कर 1,00,800 करोड़ रुपए पर पहुंच जाएगी। फिलहाल 1991-92 से विनिवेश प्रक्रिया शुरू होने के बाद से आज की तारीख तक सरकार इस मद से 99,738.92 करोड़ रुपए जुटा चुकी है। विनिवेश विभाग के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
चालू वित्त वर्ष 2011-12 में विनिवेश कार्यक्रम के तहत पूंजी बाजार में उतरनेवाली पहली सरकारी कंपनी पीएफसी है। इसके बाद ओएनजीसी व सेल जैसे कंपनियों भी इश्यू आने हैं। बता दें तीन वित्त वर्षों – 1993-94, 2006-07 और 2008-09 के दौरान सरकार को विनिवेश से कोई आमदनी नहीं हुई। यह भी नोट करने की बात है कि विनिवेश से मिली रकम सीधे नेशनल इनवेस्टमेंट फंड (एआईएफ) में जाती है जिसे सरकार की समेकित निधि (कंसोलिडेटेड फंड ऑफ इंडिया) से बाहर रखा जाता है।