व्यापारी वस्तुओं में ट्रेड करता है। माल खरीदता और बेचता है। लेकिन शेयर बाज़ार का ट्रेडर ऐसे किसी माल या वस्तु में नहीं, बल्कि लिस्टेड कंपनियों के स्टॉक्स को ट्रेड करता है जो पूरी तरह डीमैट हो चुके हैं जिन्हें महसूस किया जा सकता है, हाथ में पकड़कर दिया या लिया नहीं जा सकता। वह कंपनियों के स्वामित्व के अंश में ट्रेड करता है, जिसका भाव हर पल परसेप्शन के आधार पर बदलता रहता है। लेकिन आजकल परसेप्शन से भी बड़ा कारक धन का प्रवाह हो गया है, वो भी देशी नहीं, विदेशी। अमेरिकी डॉलर आज की अंतरराष्ट्रीय मुद्रा है। चीन जैसी दुनिया की दूसरे नंबर की अर्थव्यवस्था भी अपना विदेशी मुद्रा भंडार और आयात-निर्यात का हिसाब-किताब मुख्य रूप से डॉलर में रखती है। अब गुरुवार की दशा-दिशा…
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'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
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