दुर्दिन से गुजरती हर कंपनी बेकार नहीं

दुख में सुमिरन सब करें, सुख में करे न कोय। जो दुख में सुमिरन करे, दुख काहे को हो। दुर्दिन में कोई किसी को नहीं पूछता। जीवन और समाज का यह नियम शेयर बाज़ार पर भी लागू होता है। जिन कंपनियों के सितारे बुलंदी पर होते हैं, उनके पीछे हर कोई भागता है। इसलिए उनके शेयर चढ़ते ही चले जाते हैं। वहीं, किसी समय बुलंदी पर रही कंपनी जब किसी मुसीबत या तात्कालिक वजह से गिरने लगती है तो उसे कोई नहीं पूछता। सबसे पहले छोटे निवेशक उससे निकलते हैं। डूबते जहाज से सबसे पहले चूहे ही निकल भागते हैं। इनके शेयर गिरते-गिरते पेन्नी-स्टॉक्स बन जाते हैं। अगर बिजनेस मॉडल के ही खत्म हो जाने से टी-सीरीज़ के कैसेट या कोडक के फोटो फिल्म का धंधा और कंपनी डूब जाए तो यकीनन किसी को ऐसी कंपनी के मोह में नहीं पड़ना चाहिए। लेकिन जिस कंपनी के धंधे में बरक्कत की पूरी संभावना हो, उससे एकदम मुंह फेर लेना सही नहीं होता। हो सकता है कि उसकी मुसीबत खत्म हो जाए और वो फिर से फीनिक्स की तरह उठ खड़ी हो। लेकिन शर्त यही है कि कंपनी का प्रबंधन प्रतिबद्ध और प्रोफेशनल हो। धंधे में ऊंच-नीच तो चलती ही रहती है। आज तथास्तु में दुर्दिन से गुजरती ऐसी ही एक कंपनी…

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