दुख में सुमिरन सब करें, सुख में करे न कोय। जो दुख में सुमिरन करे, दुख काहे को हो। दुर्दिन में कोई किसी को नहीं पूछता। जीवन और समाज का यह नियम शेयर बाज़ार पर भी लागू होता है। जिन कंपनियों के सितारे बुलंदी पर होते हैं, उनके पीछे हर कोई भागता है। इसलिए उनके शेयर चढ़ते ही चले जाते हैं। वहीं, किसी समय बुलंदी पर रही कंपनी जब किसी मुसीबत या तात्कालिक वजह से गिरने लगती है तो उसे कोई नहीं पूछता। सबसे पहले छोटे निवेशक उससे निकलते हैं। डूबते जहाज से सबसे पहले चूहे ही निकल भागते हैं। इनके शेयर गिरते-गिरते पेन्नी-स्टॉक्स बन जाते हैं। अगर बिजनेस मॉडल के ही खत्म हो जाने से टी-सीरीज़ के कैसेट या कोडक के फोटो फिल्म का धंधा और कंपनी डूब जाए तो यकीनन किसी को ऐसी कंपनी के मोह में नहीं पड़ना चाहिए। लेकिन जिस कंपनी के धंधे में बरक्कत की पूरी संभावना हो, उससे एकदम मुंह फेर लेना सही नहीं होता। हो सकता है कि उसकी मुसीबत खत्म हो जाए और वो फिर से फीनिक्स की तरह उठ खड़ी हो। लेकिन शर्त यही है कि कंपनी का प्रबंधन प्रतिबद्ध और प्रोफेशनल हो। धंधे में ऊंच-नीच तो चलती ही रहती है। आज तथास्तु में दुर्दिन से गुजरती ऐसी ही एक कंपनी…
यह कॉलम सब्सक्राइब करनेवाले पाठकों के लिए है.
'ट्रेडिंग-बुद्ध' अर्थकाम की प्रीमियम-सेवा का हिस्सा है। इसमें शेयर बाज़ार/निफ्टी की दशा-दिशा के साथ हर कारोबारी दिन ट्रेडिंग के लिए तीन शेयर अभ्यास और एक शेयर पूरी गणना के साथ पेश किया जाता है। यह टिप्स नहीं, बल्कि स्टॉक के चयन में मदद करने की सेवा है। इसमें इंट्रा-डे नहीं, बल्कि स्विंग ट्रेड (3-5 दिन), मोमेंटम ट्रेड (10-15 दिन) या पोजिशन ट्रेड (2-3 माह) के जरिए 5-10 फीसदी कमाने की सलाह होती है। साथ में रविवार को बाज़ार के बंद रहने पर 'तथास्तु' के अंतर्गत हम अलग से किसी एक कंपनी में लंबे समय (एक साल से 5 साल) के निवेश की विस्तृत सलाह देते हैं।
इस कॉलम को पूरा पढ़ने के लिए आपको यह सेवा सब्सक्राइब करनी होगी। सब्सक्राइब करने से पहले शर्तें और प्लान व भुगतान के तरीके पढ़ लें। या, सीधे यहां जाइए।
अगर आप मौजूदा सब्सक्राइबर हैं तो यहां लॉगिन करें...