कंपनियों के सामने चुनौती होती है साल दर साल ही नहीं, हर तिमाही लगातार बढ़ते रहने की। कभी 15 तो कभी 20 फीसदी या इससे भी ज्यादा तो और भी अच्छा। किसी तिमाही झटका लगा तो हम-आप मुंह बनाने लगते हैं कि कैसी कंपनी है जो बढ़ती नहीं। निरंतर विकास की इसी जरूरत को पूरा करने के लिए वित्तीय बाजार, खासकर शेयर बाजार अस्तित्व में आया। लेकिन धीरे-धीरे यह लोगों की बचत को खींचने का नहीं, लूटने का जरिया बन गया है। यहां अंधाधुंध सट्टेबाजी से नोट के पहाड़ खड़े किए जा रहे हैं। स्टॉक एक्सचेंजों समेत सेबी जैसी नियामक संस्थाओं का काम है इसे रोकना। लेकिन उन्होंने ‘सब चलता है’ का रवैया अपना रखा है।
कल केवल बीएसई में लिस्टेड ब्लू सर्कल सर्विसेज नाम की एक कंपनी के शेयर (कोड – 508939) को 52 हफ्ते ही नहीं, अब तक के सबसे ऊंचे शिखर 71.45 रुपए पर पहुंचा दिया गया। वो भी 2.24 लाख शेयरों के कारोबार के साथ, जिसमें से 94.07 फीसदी डिलीवरी के लिए थे। ऐसा भी नहीं कि इसमें अचानक चूड़ी कस दी गई हो तो किसी का ध्यान नहीं गया हो। पिछले एक महीने से ज्यादा वक्त से इस शेयर में हर दिन एक से चार लाख शेयरों का वोल्यूम खड़ा किया जाता रहा है। 1 नवंबर से अब तक बस एक दिन 2 दिसंबर को इसमें 67,012 शेयरों के सौदे हुए। नहीं तो किसी भी दिन इसमें एक लाख से कम शेयरों के सौदे नहीं हुए। 17 नवंबर को इसमें 4.32 लाख शेयरों के सौदे हुए थे।
ऐसा भी नहीं कि कंपनी ने अचानक इतनी बड़ी कामयाबी हासिल कर ली हो कि निवेशक उसकी तरफ टूट पड़े हों। मुंबई में पंजीकृत गैर-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी है। तिमाही धंधा एक करोड़ रुपए के आंकड़े से नीचे है। इक्विटी मात्र 2.03 करोड़ रुपए है। दो साल पहले सितंबर 2007 में अहमदाबाद की कंपनी यश शेल्टर्स ने इसकी उस समय की इक्विटी का 64.86 फीसदी खरीदने के बाद 13.25 रुपए की दर से 20 फीसदी शेयर और खरीदने का ओपन ऑफर पेश किया था। इस ओपन ऑफर को एक फीसदी ही रिस्पांस मिला। उसके बाद क्या हुआ, पता नहीं। अभी स्थिति यह है कि कंपनी की मात्र 3.19 फीसदी इक्विटी इकलौती प्रवर्तक फर्म प्राइम कैपिटल मार्केट के पास है। लेकिन उसके 6.50 लाख शेयरों में से मात्र 1.50 लाख शेयर ही डीमैट रूप में है। यह सेबी व स्टॉक एक्सचेंज के नियमों के खिलाफ है। फिर भी यह कंपनी बी ग्रुप ही नहीं, बीएसई-500 सूचकांक तक में पड़ी हुई है! कैसे? इसकी सफाई बीएसई को हर हाल में देनी चाहिए।
अभी हालत यह है कि 22 व्यक्तियों या फर्मों के पास पब्लिक की श्रेणी में इसकी एक फीसदी से ज्यादा इक्विटी है। इनके पास कुल मिलाकर कंपनी के 45.34 फीसदी शेयर हैं। न जाने कौन खेल कर रहा है कि जो शेयर ठीक साल पहले आज ही के दिन 9 दिसंबर 2010 को 31 पैसे पर था, कल 70.55 रुपए पर बंद हुआ है। किसी कचरा शेयर का इस तरह साल भर में 227.58 गुना (22,758 फीसदी) हो जाना क्या हमारे एक्सचेंज प्रबंधन या सेबी को नहीं दिखता?
कंपनी कितना कमाती है, इसका आंकड़ा भी बड़ा दिलचस्प है। बीते वित्त वर्ष 2010-11 में उसने 1.87 करोड़ रुपए पर 1.08 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ दिखाया था। इस साल सितंबर 2011 की तिमाही में उसने 79 लाख पर 71 लाख का शुद्ध लाभ दिखाया है। कंपनी ने इसके बाद 24 अक्टूबर 2011 से अपने दस रुपए अंकित मूल्य के शेयर को एक रुपए अंकित मूल्य के दस शेयरों में बांटा है। कंपनी से प्रवर्तक पूरी तरह निकल चुके हैं। कंपनी के बारे में बाकी कुछ पता नहीं चलता। उसकी अपनी वेबसाइट तक नहीं है। इसके बावजूद इस शेयर में ट्रेडिंग हो रही है, वो लाख-लाख शेयरों में!!!
एक तरफ अच्छी-खासी कंपनियां टी ग्रुप में डालकर ठंडी कर दी जाती हैं, करीब 2500 कंपनियों के शेयर इल्लिक्विड हो गए हैं, 1600 स्टॉक्स में ट्रेडिंग सस्पेंड है, दूसरी तरफ ब्लू सर्कल सर्विसेज जैसे स्टॉक में गुलछर्रे उड़ाए जा रहे हैं? कल को कोई अनजान निवेशक इसके चक्कर में फंस गया तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा? बीएसई के सीईओ मधु कन्नन या सेबी के स्वनामधन्य चेयरमैन यू के सिन्हा? इनसे किसी जवाब की अपेक्षा नहीं है क्योंकि इनके पास न तो कान हैं और न ही कोई जुबान। ये तो निहित स्वार्थों के हाथ की कठपुतली हैं या पहरेदार का बुत बनाकर गेट पर बैठा दिए ताकि घर के अंदर लुटेरों की लूट बेरोकटोक चलती रहे।
aap ka coloum padke acha laga, issi tarah aap tci finance ke are me likte to dusre bichare usme faste nahi, koi baat nahi ap isssi tarah likte rahe or aaap ko kamiyabi jarur mile gi.