इंद्र देव लगता है इस बार भी एनडीए सरकार पर मेहरबानी नहीं करने जा रहे हैं। बुधवार को मौसम विभाग की तरफ से जारी दक्षिण पश्चिम मानसून के दीर्घकालीन पूर्वानुमानों से यही संकेत मिलता है कि इस साल बारिश सामान्य से कुछ कम रहने की आशंका है।
पिछले साल मौसम विभाग का शुरुआती अनुमान जुलाई-सितंबर के दौरान 95 प्रतिशत बारिश का था। बाद में इसे घटाकर 87 प्रतिशत किया गया। अंततः वास्तविक बारिश सामान्य की 88 प्रतिशत रही। इस बात तो शुरुआती अनुमान ही पिछले साल से कम 93 प्रतिशत का है।
इस मुद्दे पर बुधवार, 22 अप्रैल को मीडिया को जानकारी देते हुए विज्ञान, प्रौद्योगिकी व भू-विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि लंबी अवधि के औसत के अनुसार इस बार मानसून के दौरान होने वाली वर्षा के पांच प्रतिशत कम या अधिक होने की संभावना के साथ 93 प्रतिशत तक होने का अनुमान है। दीर्घावधि औसत, एलपीए के प्रतिशत के संदर्भ में यह 90 और 96 प्रतिशत के बीच हो सकती है और इसे सामान्य से कम वर्षा माना जाता है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारों के विभिन्न उच्चतर अधिकारियों ने इस तरह के पूर्वानुमानों के विवरण की जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि एक सामान्य वर्षा की संभावना का पूर्वानुमान मात्र 28 प्रतिशत है।
वहीं, राज्य मंत्री वाई एस चौधरी ने कहा, “आज के पूर्वानुमानों के आधार पर कृषि, सिंचाई और ऊर्जा विभाग, किसानों और विद्युत ऊर्जा परियोजनाओं के लिए आगामी सलाह भी जारी करेंगे।”
भू-प्रणाली विज्ञान संगठन (ईएसएसओ) – भारतीय मौसम विभाग दो स्तरों पर दक्षिण पश्चिम मानसून के पूर्वानुमान लगाता है। बुधवार को जारी किए गए प्रथम स्तर के पूर्वानुमान दीर्घावधि के लिए हैं, जिसमें 5 पूर्व-संकेतकों पर विचार किया जाता है।
क्रमांक | पूर्वसंकेतक | मापने की अवधि का समय |
1 | उत्तर अटलांटिक और उत्तर प्रशांत के बीच समुद्रतल तापमान (एसएसटी) अनुपात | दिसम्बर + जनवरी |
2 | भूमध्यवर्ती दक्षिण भारतीय महासागर एसएसटी | फरवरी |
3 | पूर्वा एशिया मध्यवर्ती समुद्र स्तर दवाब | फरवरी + मार्च |
4 | उत्तर पश्चिम यूरोप भूतल वायु तापमान | जनवरी |
5 | भूमध्यवर्ती प्रशांत उष्ण जल मात्रा | फरवरी + मार्च |
ताज़ा पूर्वानुमानों के अनुसार वर्तमान में अलनीनो की कमजोर परिस्थितियां प्रशांत महासागर के ऊपर बन रही हैं और यही परिस्थितियां दक्षिण पश्चिम मानसून के समय भी बने रहने की संभावना है। भारत के ग्रीष्मकालीन मानसून पर इन परिस्थितियों का गहरा प्रभाव पड़ता है। इस पूर्वानुमान में यह भी कहा गया है कि भारतीय मौसम विभाग प्रशांत और हिन्द महासागर के ऊपर की गतिविधियों पर ध्यानपूर्वक निगरानी रख रहा है।
दूसरे स्तर के पूर्वानुमान में ईएसएसओ-आईएमडी वर्ष के लिए जारी गए पूर्वानुमानों को फिर से देश भर के लिए जुलाई और अगस्त 2015 के लिए जून में अद्यतन करेगा। इसके अलावा, देश के चार भौगोलिक क्षेत्रों के लिए पृथक रूप से पूर्वानुमान लगाए जाएंगे।