मौद्रिक नीति की घोषणा के फौरन बाद चौंककर सेंसेक्स और निफ्टी 1.3 फीसदी तक बढ़ गए। लेकिन धीरे-धीरे नीचे उतरने लगे। अंदेशा है कि अब बाकी बचे साल में शायद ब्याज दरों में और कटौती न की जाए। खुद रिजर्व बैंक गवर्नर दुव्वरि सुब्बाराव ने स्पष्ट किया, “मुद्रास्फीति के बढ़ने का रिस्क अब भी कायम है। कुछ ऐसी ही कारकों ने नीतिगत दरों में और कटौती की गुंजाइश सीमित कर दी है।”
बस, यही सफाई शेयर बाजार के उत्साह पर पानी फेर गई। यहां तक कि निफ्टी दोपहर 12.33 बजे थोड़ी देर के लिए लाल निशान में आ गया। ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए में कार्यरत अर्थशास्त्री राजीव मलिक का कहना है कि अब ब्याज दर में कमी की सीमाएं बंध गई हैं। ऐसे में नहीं लगता कि इस साल रेपो दर में और कटौती हो सकती है। वहीं, एक्सिस बैंक के अर्थशास्त्री सौगात भट्टाचार्य मानते हैं कि चालू वित्त वर्ष 2012-13 में अभी आधा फीसदी की और कटौती रेपो दर में हो सकती है। पूरे साल में एक फीसदी घट सकती है ब्याज दर। ऐसी ही आशा बाजार को भी है। इसे दर्शाते हुए वह बाद में फिर से बढ़ने लगा।
घरेलू ब्रोकरेज फर्म एमएससी ग्लोबल सिक्यूरिटीज के रिसर्च प्रमुख जगन्नाधम तुनगुंटला कहते हैं, “रिजर्व बैंक बाजार की उम्मीद के अलग काफी आक्रामक रुख अपनाया है। अब देखना यह है कि बैंक कैसे इस ब्याज दर कटौती को उद्योग तक पहुंचाते हैं। रिजर्व बैंक तरलता की मौजूदा स्थिति से काफी संतुष्ट है और अर्थव्यवस्था को थोड़ी गति देने की तरफ बढ़ रहा है।”
हल्की-सी आशंका के बीच बहुत सारी आशाओं को जन्म दिया है रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दर में की गई आधा फीसदी की कमी ने। लगभग सारे विश्लेषक एकराय है कि जून तिमाही में कंपनियों के नतीजे पहले से बेहतर हो सकते हैं। बैंकों के अलावा इसका फायदा ऑटो और रीयल एस्टेट कंपनियों को मिल सकता है। इसका असर अभी हफ्ते-दस दिन में दिखना चाहिए। जानकार बताते हैं कि अब निफ्टी के 5450 तक पहुंचने की राह खुल चुकी है।
बाजार में जहां रीयल्टी व मेटल कंपनियों में अच्छी-खासी खरीद देखी गई, वहीं कंज्यूमर ड्यूबेवल स्टॉक्स में अधिकतम बिकवाली नजर आई। इंजरसोल रैंड व अल्सथम प्रोजेक्ट्स जैसी इंजीनियरिंग कंपनियों में बढ़त देखी जा रही है। एबीबी के बारे में खबर है कि वह गुजरात में वडोदरा के नजदीक सावली में 250 करोड़ रुपए की लागत से नई ट्रांसफॉर्मर फैक्ट्री लगा रही है। इसमें इस साल दिसंबर तक उत्पादन शुरू हो जाने की उम्मीद है। इस खबर का सकारात्मक असर इसके शेयरों पर देखा गया।
एल्मीनियम कंपनियों में जहां हिंडाल्को का शेयर बढ़ता नजर आया। वहीं सरकारी कंपनी नाल्को में गिरावट दर्ज की गई। नाल्को इस समय 58.45 रुपए पर है जो उसके 52 हफ्ते के न्यूनतम स्तर 48 रुपए (24 नवंबर 2011) के ज्यादा करीब है। इसलिए इसे लंबे समय के लिए खरीदा जा सकता है। बाकी रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों को लेकर अब भी निराशा का आलम है। बाजार बढ़ने के बावजूद रिलायंस इंडस्ट्रीज लगभग आधा फीसदी नीचे हैं। वहीं, इनफोसिस में फिर से खरीद लौटती हुई दिख रही है। उसका शेयर खबर लिखे जाने तक बीएसई में 0.58 फीसदी बढ़कर 2383 रुपए पर ट्रेड हो रहा था।
जानकार बताते हैं कि फिलहाल बड़ा ट्रिगर बाजार को मिल चका है। इसलिए अगले कुछ दिनों तक आलम उत्साह का रहेगा। यहां से सूचकांकों में 5 फीसदी बढ़त की उम्मीद पाली जा सकती है।
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