ब्याज दर 0.50% घटाकर रिजर्व बैंक ने चौंकाया, सीआरआर जस का तस

हर कोई यही उम्मीद कर रहा था कि रिजर्व बैंक रेपो दर में बहुत हुआ तो 0.25 फीसदी कमी कर सकता है। लेकिन रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2012-13 की सालाना मौद्रिक नीति में रेपो दर में 50 आधार अंक या 0.50 फीसटी कटौती कर सबको चौंका दिया है। नतीजतन घोषणा होते ही खटाक से चार मिनट के भीतर शेयर बाजार की प्रतिक्रिया को दर्शानेवाले सेंसेक्स और निफ्टी दिन के शिखर पर पहुंच गए।

रिजर्व बैंक ने तत्काल प्रभाव से रेपो दर को 8 फीसदी कर दिया है। मई 2009 के बाद पिछले तीन सालों में पहली बार रिजर्व बैंक ने रेपो दर में कटौती की है। यह अभी तक 8.5 फीसदी थी। रेपो दर वह सालाना ब्याज दर है जिस पर रिजर्व बैंक बैंकों को रात भर या चंद दिनों के लिए उधार देता है।

रिजर्व बैंक के इस फैसले के अनुरूप रिवर्स रेपो दर, वह ब्याज दर जिस पर बैंक अपना अतिरिक्त धन रिजर्व बैंक के पास रखते हैं, रेपो से एक फीसदी कम 7 फीसदी हो गई है। साथ ही मार्जिनल स्टैंडिंग सुविधा (एमएसएफ) के तहत ब्याज दर, रेपो से एक फीसदी ज्यादा, 9 फीसदी हो गई है। लेकिन अतिरिक्त तरलता उपलब्ध कराने के लिए रिजर्व बैंक ने एमएसएफ के तहत बैंकों को अपनी कुल जमा (एनडीटीएल) की 2 फीसदी तक रकम उधार लेने की इजाजत दे दी है। अभी तक यह सीमा कुल जमा की एक फीसदी थी। एमएसएफ के तहत वे बैंक उधार लेते हैं, जिनका एसएलआर (वैधानिक तरलता अनुपात) निवेश 24 फीसदी या इससे कम होता है।

असल में रिजर्व बैंक से उधार लेने के लिए बैंकों को उसके पास सरकारी बांड बतौर जमानत रखने पड़ते हैं। लेकिन इसके बावजूद सरकारी बांडों में उनका निवेश एसएलआर यानी कुल जमा के 24 फीसदी के बराबर होना चाहिए। इसीलिए सरकारी बांडों में बैकों का औसत निवेश इस समय 29 फीसदी के आसपास चल रहा है। जिन बैंकों का यह निवेश कम होता है, उन्हें एमएसएफ के तहत रिजर्व बैंक एक फीसदी ज्यादा ब्याज पर नकदी उपलब्ध कराता है।

उम्मीद के अनुरूप, रिजर्व बैंक ने सीआरआर (नकद आरक्षित अनुपात) को 4.75 फीसदी पर यथावत रखा है। सीआरआर वह अनुपात है, जिस पर बैंकों को अपनी कुल जमा का एक हिस्सा रिजर्व बैंक के पास नकद रखना पड़ता है। इस तरह जमा धन पर रिजर्व बैंक बैंकों को कोई ब्याज नहीं देता। बता दें कि इस साल जनवरी से अब तक दो बार रिजर्व बैंक सीआरआर में 1.25 फीसदी की कमी कर चुका है। ऊपर से बैंकों की नकदी जरूरत भी इधर घट गई है। फिर सरकारी खर्च का सिलसिला शुरू होने से भी सिस्टम में तरलता आ रही है। इसलिए तत्काल नकदी बढ़ाने की कोई जरूरत भी नहीं थी। हां, जुलाई से फिर इसकी जरूरत पड़ सकती है।

रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2012 की समाप्ति पर मार्च 2013 में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति के 6.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। वहीं, पूरे वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 7.3 फीसदी बढ़ने का अनुमान है। रिजर्व बैंक पहली तिमाही की मौद्रिक नीति समीक्षा मंगलवार 31 जुलाई 2012 को पेश करेगा। इससे पहले सोमवार, 18 जून 2012 को मौद्रिक नीति की मध्य-तिमाही समीक्षा पेश की जाएगी।

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