समय की रिले रेस जारी है। साल 2022 बैटन साल 2023 के हाथों में सौंपकर कट लिया। पूरे साल के दौरान 3 जनवरी से 30 दिसंबर तक निफ्टी मात्र 2.72% और सेंसेक्स 2.80% बढ़ा है। वैसे, भारतीय शेयर बाज़ार के इतिहास में दूसरी बार शीर्ष सूचकांक लगातार सात साल बढ़े हैं। पहली बार ऐसा 1988 से 1994 तक हुआ था। लेकिन अगले ही साल 1995 में सेंसेक्स 20.79% टूट गया था। साल 2008 की वैश्विक मंदी से पहले यह इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट थी। क्या नए साल 2023 में भी ऐसा हो सकता है? शेयर बाजार में भावों की लहरों से खेलते ट्रेडरों को इससे फर्क नहीं पड़ता। उनके लिए तो यही काफी है कि बीते साल सरकारी बैंकों का सूचकांक 67%, मेटल 22%, निजी बैंकों का सूचकांक 21%, एफएमसीजी सूचकांक 17% और ऑटो सूचकांक 15% बढ़ा है, जबकि आईटी 26% व फार्मा सूचकांक 11% गिरा है। अब सोमवार का व्योम…
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