क्षितिज बंधा है फ्यूचर कैपिटल का

बिग बाजार और फ्यूचर समूह के मालिक किशोर बियानी का नाम आपने जरूर सुना होगा, लेकिन प्राइवेट इक्विटी फंड एवरस्टोन कैपिटल के सह-संस्थापक समीर सैन का नाम शायद ही सुना हो। मगर बियानी और सैन आपस में एक-दूसरे को बहुत अच्छी तरह जानते-समझते हैं। असल में समीर सैन गोल्डमैन सैक्श के प्रबंध निदेशक रह चुके हैं और 2006 में उन्होंने ही बियानी के साथ मिलकर फ्यूचर कैपिटल होल्डिंग्स का गठन किया था।

ठीक चार साल पहले जनवरी 2008 में फ्यूचर कैपिटल का आईपीओ आया तो उसका दस रुपए का शेयर 765 रुपए पर बेचा गया था। उसके बाद न तो कोई बोनस, न ही कोई शेयर स्प्लिट। दस रुपए अंकित मूल्य का वही शेयर बीते शुक्रवार, 13 जनवरी 2012 को बीएसई (कोड – 532938) में 122.80 रुपए और एनएसई (FCH) में 122.90 रुपए पर बंद हुआ है। यह पिछले महीने 19 दिसंबर को 101.60 रुपए का तल्ला भी पकड़ चुका है। मार्च 2009 में तो यह 92.90 रुपए तक चला गया था। हालांकि कंपनी का आईपीओ बाजार के ऐतिहासिक शिखर के दौरान आया था। लेकिन लंबे समय के निवेशक चार साल में अपने 100 रुपए के घटकर 18.50 रुपए रह जाने पर जरूर रो रहे होंगे। हां, जिन्होंने लिस्टिंग के फौरन बाद इसे 1100-1150 रुपए पर निकाल दिया होगा, वे जरूर अपनी समझदारी की दाद दे रहे होंगे।

आइए देखते हैं कि बियानी के पूर्व सहयोगी समीर सैन का क्या कहना है। सैन बियानी से 1980 के दशक में तब से जुड़े रहे हैं, जब उनके पिता सुशील सैन और किशोर बियानी ने मिलकर तारापुर में एक यार्न स्पिनिंग इकाई लगाई थी। सैन ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा, “मेरे पिता उनके मेंटर भी थे और जब उन्होंने पैंटालून शुरू की तो पहले निदेशक थे। इसलिए मैं किशोर को बहुत सालों से जानता हूं। किशोर और मैं (गारमेंट बिजनेस में लगी) पैंटालून में तब पतलूनों को तहाया करते थे और उन्हें मुंबई के मशहूर डिपार्टमेंटल स्टोर अमरसंस को भेजा करते थे।”

साल 2006 में सैन ने बियानी के साथ मिलकर फ्यूचर कैपिटल को शुरू करते वक्त 30 करोड़ रुपए भी लगाए थे। हालांकि उनके पास अब भी कंपनी के 4.13 फीसदी (26,79,103) शेयर हैं जिनका बाजार मूल्य करीब 33 करोड़ रुपए है। लेकिन वे 2009 में ही बियानी से मतभेदों के चलते प्यार से कंपनी छोड़कर अलग हो चुके हैं। हां, अपने साथ वे फ्यूचर कैपिटल का प्राइवेट इक्विटी का बिजनेस ले गए और वे उसे एवरस्टोन कैपिटल के नाम से चला रहे हैं। धंधे में यह सब चलता है। लेकिन मैंने यह वाकया इसलिए बताया ताकि आप समझ सकें कि फ्यूचर कैपिटल में लंबे समय का कोई मामला नहीं बनता।

वैसे तो यह गोल्ड फाइनेंस से लेकर कंपनियों को ऋण मुहैया कराने और बीमा व निवेश एजेंट तक का धंधा करती है। लेकिन खुद उसके शब्दों में, “फ्चूयर कैपिटल होल्डिंग्स बिग बाज़ार, ई-ज़ोन  व होमटाउन जैसे फ्यूचर समूह के रिटेल स्टोंरों के भीतर फाइनेंशियल सुपरस्टोर स्थापित कर रही है ताकि वह भारत में वित्तीय उत्पादों व सेवाओं की पहली ‘ग्राहक-केंद्रित’ रिटेलर बन सके।”

यूं तो कंपनी का तामाझामा बहुत बड़ा है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल के शीर्ष पद पर रह चुके वी वैद्यनाथन इसके प्रबंध निदेशक हैं। इसके निदेशक बोर्ड में सेबी के पूर्व चेयरमैन जी एन बाजपेयी, मशहूर चार्टर्ड एकाउंटेंट शैलेश हरिभक्ति और अनिल अंबानी के समूह व अंबुजा सीमेंट में रह चुके अनिल सिंघवी तक शामिल हैं। लेकिन कंपनी का सारा धंधा फिलहाल फ्यूचर समूह के इर्दगिर्द घूमता है। एक तो मुझे वैसे ही फाइनेंस कंपनियां कतई नहीं जमतीं। ऊपर से जिस कंपनी का क्षितिज ही बांध दिया गया हो, उसको लेकर बहुत तसल्ली नहीं होती।

इसलिए भले ही फ्चूयर कैपिटल का शेयर इस समय 122.80 रुपए के भाव होने से महज 10.1 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा हो और उसकी प्रति शेयर बुक वैल्यू 105.16 रुपए हो, मुझे नहीं लगता कि किसी को इस स्टॉक में लांग टर्म के लिए निवेश करना चाहिए। हां, इसमें छोटी अवधि के लिए चाहें तो निवेश कर सकते। कुछ जानकार कई महीने से बता रहे हैं कि यह 152-153 रुपए तक आसानी से जा सकता है।

कंपनी की 64.8 करोड़ रुपए की इक्विटी में फ्चूयर समूह का हिस्सा 61.04 फीसदी है। इसमें से पैंटालून रिटेल के पास 53.67 फीसदी और 7.37 फीसदी किशोर बियानी के पास है। सितंबर तिमाही के दौरान एफआईआई ने कंपनी में अपना निवेश 1.24 फीसदी से बढ़ाकर 2.17 फीसदी कर लिया है, जबकि डीआईआई का निवेश 2.02 फीसदी पर कमोबेश स्थिर है। कंपनी ने बीते वित्त वर्ष 2010-11 में 238.54 करोड़ रुपए की आय पर 55.26 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। चालू वित्त वर्ष 2011-12 में अभी तक इसका कामकाज अच्छा रहा है। असल में 1 मार्च 2011 से कंपनी के भीतर दूसरी कंपनी फ्चूयर कैपिटल फाइनेंशियल सर्विसेज का विलय कर दिया गया। इसलिए ताजा नतीजों की तुलना पिछले साल से नहीं की जा सकती। वैसे, सितंबर 2011 की तिमाही में उसने 163.58 करोड़ रुपए की आय पर 27.54 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। अगले महीने उसकी दिसंबर तिमाही के नतीजे आएंगे। लेकिन ईमानदारी से बोलूं तो मैं इस कंपनी में किसी भी आम निवेशक को निवेश की सलाह नहीं दूंगा क्योंकि इसका इक्विटी पर रिटर्न मात्र 6.71 फीसदी है। बाकी आपको इसमें ट्रेडिंग करनी है तो आप जानें।

अंत में एवरस्टोन के समीर सैन की एक सलाह: लोग क्या कहते हैं, इसे मत देखो। आप बस इस पर गौर करो कि वे खुद क्या करते हैं।

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