एलआईसी रसीदी टिकट लगाने में बरत रहा है मनमानी: सीआईसी

जो बात आप में से बहुतों ने नोट करने के बावजूद अनदेखी कर दी होगी, वो अब केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) की भी नजर में आ गई है और वह इसके प्रति काफी गंभीर है। देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की बहुतेरी शाखाओं में तय सीमा वाले प्रीमियम की रसीदों पर रेवेन्यू स्टैम्प या रसीदी टिकट नहीं लगाया जाता जिससे सरकारी खजाने को हर साल भारी नुकसान हो रहा है। बता दें कि नियमतः 5000 रुपए या इससे ज्यादा प्रीमियम की हर रसीद पर एलआईसी को एक रुपए का रेवेन्यू स्टैम्प लगाकर ठप्पा मारना होता है।

यह मामला केंद्रीय सूचना आयोग में एक सुनवाई के दौरान सामने आया। इसके बाद आयोग ने एलआईसी को निर्देश दिया है कि वह 2006 से 2010 के दौरान खरीदे गए रसीदी टिकटों का पूरा ब्यौरा 16 हफ्ते के भीतर उपलब्ध कराए। असल में मदन मोहन तिवारी नाम के एक शख्स ने आरटीआई (सूचना अधिकार) एक्ट के तरह आवेदन डालकर एलआईसी से दूसरे सवालों के साथ ही पिछले पांच सालों में खरीदे गए रसीदी टिकटों की जानकारी मांगी थी। लेकिन एलआईसी ने उनका आवेदन यह कहकर ठुकरा दिया कि यह जानकारी इकट्ठा करने में संसाधनों की अनावश्यक बरबादी होगी।

मदन मोहन तिवारी इसके बाद यह मामला सीआईसी के सामने ले गए। वहां उन्होंने एलआईसी डिवीजनल ऑफिस, पटना से मिले दस्तावेजों को दिखाया जिससे साबित हुआ कि बक्सर शाखा ने एक लाख से ज्यादा रसीदें ऐसी दी हैं जिन पर रसीदी टिकट लगाना जरूरी था। हालांकि सुनवाई के दौरान एलआईसी के प्रतिनिधि लगातार इस बात से इनकार करते रहे। तिवारी ने केवल एक डिवीजन से इकट्ठा की गई जानकारियों के आधार पर आयोग के सामने यह साबित कर दिया कि एलआईसी प्रीमियम रसीदों पर रेवेन्यू स्टैम्प लगाने में मनमानी बरत रहा है जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है।

मामले की सुनवाई करते हुए सीआईसी की सूचना आयुक्त सुश्री दीपक संधु ने कहा, “दस्तावेजों के निरीक्षण से स्पष्ट होता है कि बक्सर ब्रांच ऑफिस ने 2006-10 के दौरान 35,980 रेवेन्यू स्टैंप खरीदे, जबकि 5000 रुपए की 1,58,389 रसीदें वहां से जारी की गईं। जाहिर है कि 1,22,409 रसीदों पर जरूरी होने के बावजूद रेवेन्य स्टैम्प नहीं लगाए गए जिससे सरकारी खजाने को क्षति पहुंची है।”

उन्होंने कहा कि यह खुलासा आरटीआई एक्ट के अंतर्गत व्यापक सार्वजनिक हित का मामला है और एलआईसी का यह तर्क कोई मायने नहीं रखता कि यह जानकारी इकट्ठा करने में संसाधनों की अनावश्यक बरबादी होगी। एलआईसी को फिलहाल 2006 से 2010 के दौरान देश भर की सभी शाखाओं द्वारा खरीदे गए रेवेन्यू स्टैम्प का ब्यौरा पेश करने के लिए 16 हफ्तों का समय दिया गया है।

सूचना आयुक्त ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि एलआईसी के कुछ दफ्तरों में रेवेन्यू स्टैम्प लगाने के बारे में मनमानी बरती जा रही है, जबकि आवश्यक होने पर भी इन टिकटों को न लगाना कानून का पूरी तरह उल्लंघन है। इसलिए इस मामले का पूरा सच सामने लाया जाना जरूरी है ताकि एलआईसी के सर्वोच्च अधिकारियों का इसका पता लग सके और इसे सुधारने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा सकें। गौरतलब है कि देश भर में एलआईसी की कुल 2048 शाखाएं हैं और आईआरडीए के आंकड़ों के अनुसार मार्च 2011 तक उसके द्वारा बेची गई पॉलिसियों की संख्या करीब 3.70 करोड़ है, जिसमें से करीब 3.25 करोड़ गैर-एकल प्रीमियम वाली पॉलिसियां हैं यानी जिनमें हर साल प्रीमियम भरना पड़ता है।

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