किंगफिशर एयरलाइंस के खिलाफ उसके बकाया करों को लेकर मुकदमा दायर किया जा सकता है और संबंधित लोगों को जेल हो सकती है। अब इस संकटग्रस्त एयरलाइंस को बचाने का जिम्मा इसके चेयरमैन विजय माल्या का है। नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह ने मंगलवार को मीडिया से बातचीत के दौरान यह बयान दिया। जहां अजित सिंह हफ्ते-दो हफ्ते पहले तक किंगफिशर एयरलाइंस को बंद न होने देने की बात कर रहे थे, वहीं अब उनका कहना है कि अगर सुरक्षा के मानकों और वित्तीय व्यवहार्यता की शर्तों का पालन नहीं किया जाता तो उसका लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।
इस बीच नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (जीडीसीए) ने मंगलवार को विजय माल्या को अपने दफ्तर में बुलाया था। इस मुलाकात के बाद माल्या ने बताया कि किंगफिशर का लाइसेंस रद्द नहीं किया गया है और उन्होंने कंपनी के जरूरी दस्तावेज डीजीसीए को सौंप दिए हैं। माल्या ने कहा कि किंगफिशर हर दिन 110 से 125 फ्लाइट चलाएगी। लेकिन अंतरराष्ट्रीय उड़ानें बंद कर जाएंगी। माल्या ने कर्मचारियों को उनकी सैलरी देने का वादा भी किया।
बता दें कि डीजीसीए कंपनी की खस्ता होती हालत को देखते हुए उसका फ्लाइंग लाइसेंस रद्द करने पर भी विचार कर रहा था। इसी सिलसिले में उसने मंगलवार को माल्या को इसी सिलसिले में तलब किया था। किंगफिशर ने सोमवार को उड़ानों की लिस्ट विमानन नियामक को सौंपी थी। इसमें 18 विमानों के साथ परिचालन की बात कही गई थी। पिछले महीने सौंपी गई सूची में 28 विमानों के साथ परिचालन की बात कही गई थी।
नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह ने इससे पहले कहा था, “विजय माल्या अगर कोई प्लान पेश करते हैं और कहते हैं कि उनके पास इतने जहाज हैं और ये उनके चलाने का कार्यक्रम है तो हम क्यों किंगफिशर का लाइसेंस रद्द करेंगे? दिक्कत यह है कि पिछले दो-तीन महीनों में वे कई प्लान पेश कर चुके हैं, पर किसी का भी पालन नहीं किया है।” उनका कहना था कि किसी समय किंगफिशर एयरलाइंस के बेड़े में 64 जहाज हुआ करते थे।
बता दें कि किंशफिशर एयरलाइंस पर इस समय 7000 करोड़ रुपए का कर्ज है और वो पिछली दस तिमाहियों से लगातार घाटे में चल रही है। दिसंबर 2011 की तिमाही में तो उसका घाटा साल भर पहले से लगभग दोगुना होकर 444 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। उसके बैंक खाते फ्रीज किए जा चुके हैं। उसने यात्रियों से लिया गया सेवा कर भी सरकार के पास नहीं जमा कराया है। इस सिलसिले में तीन दिन पहले केंद्रीय उत्पाद व सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के चेयरमैन एस के गोयल ने भी कहा था, “किंगफिशर को कोर्ट का सामना करना होगा। करचोरी की जा चुकी है। मामले में संबंधित लोगों को जेल भी हो सकती है।” किंगफिशर पर 76 करोड़ रुपए का सेवा कर बकाया है।