अरंडी बड़े ही जीवट वाला ऐसा पौधा है जो देश में उत्तर से दक्षिण तक कहीं भी आपको सड़क किनारे उगा हुआ मिल जाएगा। गुजरात, राजस्थान व आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में जमकर इसकी व्यावसायिक खेती होती है। भारत दुनिया में अरंडी व इससे बने उत्पादों का सबसे बड़ा उत्पादक है। दुनिया के बाजार का 65 फीसदी हिस्सा इसके पास है। अरंडी की खली से लेकर तेल तक में औषधीय गुण होते हैं। हिंदी भाषी इलाकों के गांवों में लोग इसे रेंडी का तेल कहते हैं और सदियों से इसका इस्तेमाल करते आए हैं। आज के औद्योगिक जमाने में यह तेल खाने-पीने की चीजों से लेकर फैशन, टेक्सटाइल, लुब्रिकेंट, कूलेंट व स्याही तक बनाने के काम आता है।
जयंत एग्रो-ऑर्गेनिक्स ने अरंडी या कैस्टर ऑयल की इसी घरेलू व पारंपरिक शक्ति को अपने धंधे का आधार बनाया है। उसके प्रवर्तकों को इस क्षेत्र का पांच दशकों से ज्यादा का अनुभव है। इधर, पर्यावरण के प्रति चिंता बढ़ने से अरंडी तेल की महत्ता और बढ़ गई है क्योंकि यह प्राकृतिक, कार्बनिक और बायो-डिग्रेबल उत्पाद है। जयंत एग्रो ने अरंडी के तेल पर आधारित स्पेशियल्टी केमिकल्स में महारत हासिल कर रखी है। कंपनी का मुख्यालय महाराष्ट्र में है। लेकिन उसकी दो उत्पादन इकाइयां गुजरात के वडोदरा में हैं। उसकी दो सब्सिडियरी इकाइयों में जापानी निवेश भी है। कंपनी न केवल निर्यात करती है, बल्कि देश में आयात होनेवाले कई उत्पादों का विकल्प भी पेश कर रही है।
जयतं एग्रो के शेयर ने इसी महीने 1 फरवरी को 123 रुपए पर 52 हफ्ते का उच्चतम स्तर हासिल किया है। उसका अब तक ऐतिहासिक शिखर 160 रुपए का है जो उसने अक्टूबर 2010 में हासिल किया था। यह पिछले 52 हफ्तों के दौरान नीचे में 76.25 रुपए तक गया है, जबकि पिछले तीन सालों में यह 30.85 रुपए तक भी जा चुका है। फिलहाल इसका पांच रुपए अंकित मूल्य का शेयर बीएसई (कोड – 524330) में 102.25 रुपए और एनएसई (कोड – JAYAGROGN) में 104.25 रुपए चल रहा है।
चालू वित्त वर्ष 2011-12 की दिसंबर तिमाही में कंपनी की बिक्री 44.39 फीसदी बढ़कर 365.11 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 51.14 फीसदी बढ़कर 6.62 करोड़ रुपए हो गया है। पिछली पांच तिमाहियों में उसकी बिक्री में औसत वृद्धि 38 फीसदी और लाभ में 42 फीसदी की रही है। बीते वित्त वर्ष 2010-11 में कंपनी ने 1143.26 करोड़ रुपए की बिक्री पर 17.22 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था। अभी दिसंबर 2011 तक के बारह महीनों में कंपनी का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 15.63 रुपए है और इस तरह उसका शेयर 6.63 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। सब्सिडियरी इकाइयों को मिलाकर उसका समेकित ईपीएस 19.81 रुपए है जिसके आधार पर उसका पी/ई अनुपात 5.23 ही निकलता है।
ज्यादा कुछ न कहकर बस इतना कहना है कि इस स्मॉल कैप कंपनी में काफी संभावनाएं हैं। पांच-दस साल के नजरिए से इसके स्टॉक में निवेश करना काफी फायदेमंद हो सकता है। हां, कंपनी स्मॉल कैप है तो आप पिछले तीन सालों में शेयर की चाल से देख ही सकते है कि यह कितना तेज गिरता-उछलता है। वैसे, 90 से 100 रुपए की रेंज में इसे खरीदने में कोई हर्ज नहीं है। नज़र रखिए। शायद और गिर जाए। कुछ भी हो, यह आपके जोखिम उठाने की क्षमता पर निर्भर करता है कि आप इसमें कब और कितना निवेश करेंगे। हम बस इतना कह सकते हैं कि यह स्टॉक निवेश के काबिल है।
कंपनी की 7.50 करोड़ रुपए की इक्विटी में प्रवर्तकों का हिस्सा 59.93 फीसदी है। कंपनी का ऋण-इक्विटी अनुपात थोड़ा ज्यादा 2.12 है जिसकी मुख्य वजह इक्विटी आधार का कम होना है। उसके ऊपर 240.37 करोड़ रुपए का कर्ज है। उसने दिसंबर 2011 की तिमाही में 6.62 करोड़ रुपए के शुद्ध लाभ से ज्यादा 7.46 करोड़ रुपए का ब्याज चुकाया है। लेकिन प्रवर्तकों ने अपने कोई शेयर गिरवी नहीं रखे हैं। एफआईआई ने इसमें कोई निवेश नहीं कर रखा है, जबकि डीआईआई का निवेश 0.05 फीसदी है।
कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 6372 है। इसमें से 6003 (94.2 फीसदी) शेयरधारक एक लाख रुपए से कम लगानेवाले छोटे निवेशक हैं जिनके पास कंपनी के 21.40 फीसदी शेयर हैं। कंपनी 2007 से लेकर अब तक हर साल बराबर लाभांश देती रही है। बीते साल उसने पांच रुपए के शेयर पर 1.75 रुपए यानी 35 फीसदी का लाभांश दिया है। साल 2003 और 2006 में दो बार एक पर एक शेयर का बोनस दे चुकी है।