साल खत्म होने में अब ढाई हफ्ते ही बचे हैं। इसी दौरान देशी म्यूचुअल फंडों से लेकर विदेशी निवेशक संस्थाओं (एफआईआई) तक को अपना हिसाब-किताब सेटल करना होता है। इस संस्थागत निवेशकों का यह रूटीन काम है। लेकिन इसका शेयर बाज़ार पर अहम प्रभाव पड़ता है। दिसंबर म्यूचुअल फंडों के लिए तीसरी तिमाही का अंत है तो वे एनएवी बढ़ाने में जुटे रहेंगे। वहीं, एफआईआई कैलेंडर वर्ष के हिसाब से ही चलते हैं। अब सोमवार का व्योम…
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