धंधेबाज कुछ भी कहें, लेकिन जानकार आपको यही बताएगा कि असली बीमा टर्म इंश्योरेंस ही है। टर्म इंश्योरेंस वास्तव में बेसिक इंश्योरेंस है। बीमा के अन्य रूप, मसलन यूलिप, मनी बैक, ग्रुप इंश्योरेस, मेडिकल इंश्योरेंस, वाहन बीमा, पेंशन प्लान तो काफी बाद में आए। इन सबका उद्गम टर्म इंश्योरेंस है।
बीमा व निवेश हैं अलग: आपको हमेशा यह ध्यान रखना है कि बीमा व निवेश या बचत दोनों बिल्कुल अलग-अलग चीजें हैं। इन दोनों को एक चश्मे से नहीं देखा जाना जाहिए क्योंकि निवेश व बचत के जहां कई तरीके हैं वहीं बीमा का तरीका सिर्फ एक ही है। बीमा मतलब सिर्फ बीमा है।
जब भी खरीदें टर्म ही खरीदें: बीमा कवर के लिहाज से टर्म इंश्योरेंस एक आदर्श कवर है। फिर भी इसके बारे में लोगों में जागरूकता बहुत कम है। एजेंट भी टर्म इंश्योरेंस के बारे में बताते नहीं। इसकी बजाय वे ऊंचे कमीशन की योजनाएं बेचने में दिलचस्पी रखते हैं। यही कारण है कि बीमा कंपनियों की कुल बिक्री में टर्म इंश्योरेंस का हिस्सा सिर्फ 5 फीसदी ही होता है। लिहाजा आपके लिए बेहतर सलाह यह है कि जब भी बीमा खरीदें, टर्म बीमा ही खरीदें।
टर्म इंश्योरेंस व अन्य में अंतर: अन्य बीमा पॉलिसियों से टर्म इंश्योरेंस एकदम अलग हैं। अन्य पॉलिसियों में जहां मेच्योरिटी/बीमा धारक की असमायिक मृत्यु के बाद उसके नॉमिनी को एकमुश्त रकम यानी बोनस आदि समेत सम-एश्योर्ड प्राप्त होता है वहीं टर्म इंश्योरेंस की मेच्योरिटी वैल्यू शून्य होती है। लेकिन यदि भविष्य में भगवान न करें कि बीमाधारक इस दुनिया में न रहे तो टर्म इंश्योरेंस उसके आश्रित/परिवार/नॉमिनी को आर्थिक चिंता से एकदम मुक्त कर देता है। वैसे कुछ बीमा कंपनियों ने ऐसी टर्म पॉलिसी भी पेश की है जिसमें मेच्योरिटी पर प्रीमियम राशि बीमाधारक को मिलती भी है। पर यह बहुत मंहगी पालिसी है। इसका प्रीमियम अत्यंत ऊंचा है।
यह कैसे काम करता है: मान लीजिए अपने 30 साल की उम्र में 10 साल के लिए और 10 लाख रुपए सम एश्योर्ड का टर्म प्लान लिया है। मानें आपका सालाना प्रीमियम 3000 रुपए है। अगर आपकी मृत्यु 10 साल के भीतर हो जाती है तो आपके वित्तीय आश्रितों को 10 लाख रुपए मिलेंगे और यदि आप 10 साल जी जाते हैं, आपको कुछ नहीं मिलेगा।
टर्म बिना हेल्थकेयर मुश्किल: मजे की बात यह है कि टर्म इंश्योरेंस स्वास्थ्य बीमा पोर्टफोलियो का भी अभिन्न अंग माना जाता है। जानकारों का कहना है कि हेल्थकेयर की बढ़ती कीमतों के साथ ही आज के जमाने में हरेक इंसान के पर्याप्त हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज होना जरूरी है। इस ध्येय के लिए आदर्श तौर पर एक टर्म प्लान, एक हेल्थ पॉलिसी और एक एक्सीडेंट बीमा पॉलिसी लेना पर्याप्त होता है।
प्रीमियम 50 फीसदी तक कम: टर्म इंश्योरेंस बीमा का शुद्ध रूप होता है – विशुद्ध रिस्क कवर। इसमें बचत करने या निवेश करने का कोई तत्व नहीं होता है। लिहाजा इसके प्रीमियम काफी सस्ते होते हैं। बीमा नियामक व विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) के सौजन्य से पिछले दो सालों में कम प्रीमियम के चलते टर्म इंश्योरेंस काफी लोकप्रिय बन गए हैं। इसलिए इसके प्रीमियम रेट लगातार कम हुए हैं। टर्म इंश्योरेंस की कुछ योजनाओं में तो यह कमी तकरीबन 50 फीसदी तक हो गई है।
आपकी सालाना आय का 15 फीसदी: जानकारों का कहना है कि आपके बीमा पोर्टफोलियो में टर्म इंश्योरेंस आपकी सालाना आय का 15 फीसदी होना चाहिए। भगवान न करें कि आप इस दुनिया में न रहें तो आपकी नॉमिनी टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी से मिलने वाली रकम को निश्चित मासिक आय वाली किसी योजना में निवेश कर सकती है। इससे उसकी आर्थिक चिंता उडऩ-छू हो जाएगी।
टर्म इंश्योरेंस में करें 5 फीसदी वृद्धि: आपके लिए बेहतर सलाह है कि टर्म इंश्योरेंस कम उम्र में खरीदें। क्योंकि उम्र बढऩे के साथ टर्म इंश्योरेंस कवर का प्रीमियम भी बढ़ता जाता है। 50 के ऊपर के आयु वर्ग में टर्म पॉलिसी का प्रीमियम ज्यादा होता है। इसलिए जानकारों का कहना है कि टर्म इंश्योरेंस कम उम्र में लें और इसके सम एश्योर्ड कवर में हर साल 5 फीसदी की वृद्धि करते रहें।
सबसे सस्ता टर्म इंश्योरेंस: आपको निश्चित रूप से टर्म प्लान लेना ही चाहिए। पर आप सवाल करेंगे कि कौन सा टर्म प्लान लिया जाए, हालांकि इन दिनों टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदना एकदम सस्ता हो गया है। फिर भी हम आपको एक खास प्लान के बारे में बताते हैं। एगॉन रेलिगेयर लाइफ इंश्योरेंस कंपनी का टर्म प्लान इन दिनों मार्केट में उपलब्ध सबसे सस्ती योजना है। इस पॉलिसी को आप ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं। तो फिर अब देर न करें। टर्म प्लान लें। आप अपने जीवन पर ले सकते हैं, ज्वाइंट लाइफ टर्म इंश्योरेंस कवर पत्नी या बिजनेस पार्टनर के साथ लिया जा सकता है।
– राजेश विक्रांत (लेखक मुंबई में कार्यरत एक बीमा प्रोफेशनल हैं)