अंदर का निर्वात या रीतापन जितना बड़ा होता है, भगवान और सनसनीखेज़ चमकदार चीजों की माया हम पर उतनी ही हावी हो जाती है। बेहतर यही है कि रीतेपन को माया से नहीं, सच्चे ज्ञान से भरा जाए।
2012-04-01
अंदर का निर्वात या रीतापन जितना बड़ा होता है, भगवान और सनसनीखेज़ चमकदार चीजों की माया हम पर उतनी ही हावी हो जाती है। बेहतर यही है कि रीतेपन को माया से नहीं, सच्चे ज्ञान से भरा जाए।
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