मैं बड़ा कि तू? तू सही कि मैं? जब घनघोर समस्याएं हर तरफ से दबोचे हुए हों, तब ऐसी तकरार का क्या तुक! ऐसे में मुनासिब यही है कि सारे मतभेदों को भुलाकर समस्या से एक साथ जूझा जाए। अहं का मसला बाद में फिर कभी निपटा लेंगे।
2012-06-03
मैं बड़ा कि तू? तू सही कि मैं? जब घनघोर समस्याएं हर तरफ से दबोचे हुए हों, तब ऐसी तकरार का क्या तुक! ऐसे में मुनासिब यही है कि सारे मतभेदों को भुलाकर समस्या से एक साथ जूझा जाए। अहं का मसला बाद में फिर कभी निपटा लेंगे।
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