कहा जाता है कि झूठ तीन तरह के होते हैं – झूठ, शापित झूठ और आंकड़े। इसमें अगर आंकड़े भी खुद झूठे निकल जाएं तो झूठ की तो पराकाष्ठा हो जाती है। मामला कोढ़ में खाज का हो जाता है। गुरुवार को ऐसा ही हुआ, जब सरकार ने फरवरी के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आंकड़ों को जारी करने के साथ ही बताया कि उसने जनवरी में आईआईपी के 6.8 फीसदी बढ़ने की जो बात कही थी, वह असल में झूठ थी और औद्योगिक उत्पादन की असली वृद्धि दर मात्र 1.14 फीसदी थी।
इस हकीकत ने फरवरी में आईआईपी के 6.6 फीसदी की अपेक्षा से कहीं कम, 4.1 फीसदी बढ़ने का मामला और संगीन कर दिया। इतना बड़ा अमला होने के बावजूद केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) गलत आंकड़ों का ठीकरा चीनी महानिदेशालय के ऊपर मढ़ रहा है। केंद्रीय सांख्यिकी व कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव टीसीए अनन्त ने सफाई दी है कि चीनी निदेशालय ने खाद्यान्न व सार्वजनिक वितरण मंत्रालय को जनवरी में चीनी उत्पादन का गलत आंकड़ा दिया था। उसने बताया था कि चीनी उत्पादन 134.08 लाख टन का है, जबकि वास्तविक आंकड़ा 58.09 लाख टन का था। इसके चलते जनवरी में उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन की वृद्धि दर 20.2 फीसदी से घटकर 2.9 फीसदी पर आ गई और आईआईपी की वृद्धि दर 6.8 फीसदी के अनुमान से सीधे 1.14 फीसदी पर।
इससे सरकारी आंकड़ों के प्रति उपजे अविश्वास को गहरा कर दिया है। लेकिन हमारे वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने इस पर कोई अफसोस न जताते हुए परोक्ष रूप से रिजर्व बैंक को फरमान जारी कर दिया कि उसे अब ब्याज दरें घटानी ही पड़ेंगी। वित्त मंत्री का कहना था, “फरवरी में औद्योगिक उत्पादन के घटने और जनवरी के आंकड़ों में बड़े संशोधन का असर अगले हफ्ते आनेवाली मौद्रिक नीति पर पड़ेगा।” उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक देश में निवेश के माहौल को सुधारने के लिए साथ मिलकर कदम उठाएंगे।
मुंबई में नोमुरा सिक्यूरिटीज के रणनीतिकार विवेक राजपाल का कहना था, “फरवरी के कमतर आईआईपी आंकड़ों और जनवरी के बड़े संशोधन ने आर्थिक विकास की चिंता को गहरा कर दिया है। यह इस धारणा की पुष्टि करता है कि अगले हफ्ते रिजर्व बैंक ब्याज दरों में 25 आधार अंक (0.25 फीसदी) की कटौती करेगा।” उनका कहना था कि उन्हें अब मार्च की मुद्रास्फीति के आंकड़े का इंतजार है। अगर यह नीचे रहती है तो रेपो दर में चौथाई फीसदी की कमी पक्की मानी जा सकती है।
मालूम हो कि थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़े सोमवार, 16 अप्रैल को जारी किए जाएंगे। रिजर्व बैंक इसके एक दिन बाद, 17 अप्रैल को सालाना मौद्रिक नीति पेश करेगा। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रायशुमारी के मुताबिक बहुमत की राय यही है कि मार्च में मुद्रास्फीति की दर 6.70 फीसदी रहेगी। फरवरी में इसकी दर 6.95 फीसदी दर्ज की गई थी।
औद्योगिक उत्पादन की बात पर वापस लौटें तो आईआईपी में 75.53 फीसदी का योगदान रखनेवाले मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र का उत्पादन फरवरी में 4 फीसदी बढ़ा है। निवेश को दर्शानेवाली पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन 10.6 फीसदी बढ़ा है, जबकि उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन बढ़ने के बजाय 6.7 फीसदी घट गया है। इन सबको मिलाकर फरवरी में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 4.1 फीसदी निकली है। लेकिन कहीं बाद में यह पता चले कि वास्तविक आंकड़ा 4.1 फीसदी का नहीं, बल्कि 1.4 फीसदी का है, तब क्या होगा?