अंधेरे, सुनसान, बियावान सफर के दौरान पीछे से पुकारने वाली आवाजें भुतहा ही नहीं होतीं। कभी-कभी अतीत आपके कंधे पर हाथ रखकर पूछना चाहता है – भाई! कैसे हो, सफर में कोई तकलीफ तो नहीं।
2011-05-21
अंधेरे, सुनसान, बियावान सफर के दौरान पीछे से पुकारने वाली आवाजें भुतहा ही नहीं होतीं। कभी-कभी अतीत आपके कंधे पर हाथ रखकर पूछना चाहता है – भाई! कैसे हो, सफर में कोई तकलीफ तो नहीं।
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