अपने यहां टैक्सों की विचित्र स्थिति है। सालाना करोड़ों में कमा रहा कॉरपोरेट क्षेत्र कुछ लाख कमानेवाले लोगों से कम टैक्स देता है और किसी तरह गुजारा कर रहे देश के आमजन जीएसटी, एक्साइज़ व कस्टम शुल्क के रूप में सबसे ज्यादा टैक्स देते हैं। बजट के मुताबिक सरकार को चालू वित्त वर्ष 2024-25 में कॉरपोरेट टैक्स से ₹10.20 लाख करोड़ मिलने हैं, जबकि इनकम टैक्स से मिलनेवाली रकम इससे अधिक ₹11.87 लाख करोड़ रहेगी। वहीं, आमजन जीएसटी के रूप में ₹10.62 लाख करोड़, एक्साइज़ के रूप में ₹3.19 लाख करोड़ और कस्टम ड्यूटी के रूप में ₹2.38 करोड़ सरकार को देंगे। इस तरह आमजन ₹16.19 लाख करोड़ का परोक्ष टैक्स सरकार को भरेंगे। यह सरकार के कुल ₹38.40 लाख करोड़ के निर्धारित टैक्स राजस्व का 42.16% है। ऊपर से आमजन द्वारा दिए जा रहे टोल टैक्स व प्रॉपर्टी टैक्स वगैरह अलग। दुनिया के 38 विकसित देशों के संगठन ओईसीडी में औसतन किसी भी देश में परोक्ष टैक्स का हिस्सा कुल कर राजस्व में 32% से ज्यादा नहीं है। कमाल की बात है कि इतना ज्यादा परोक्ष टैक्स लेने के बावजूद मोदी सरकार भारत को विकसित देश बनाने का सपना दिखा ही नहीं रही, बल्कि राजनीतिक रूप से बेच भी रही है। अब सोमवार का व्योम…
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