भारत से दो साल बाद मुक्त होनेवाला चीन छह दशकों के सफर में तमाम क्षेत्रों में आगे बढ़ चुका है। फिर भी लोकतंत्र ही नहीं, सोने की मांग तक में वह भारत को मात नहीं दे सका। लेकिन भारत अब पहली बार अपनी इस पारंपरिक श्रेष्ठता में भी चीन से पिछड़ गया है। विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक साल 2011 की आखिरी तिमाही (अक्टूबर से दिसंबर) में भारत में सोने की खपत 173 टन रही है, जबकि चीन में इसकी मात्रा 190.9 टन रही है।
परिषद ने इसकी वजह डॉलर के सापेक्ष रुपए की विनिमय दर में आए भारी उतार-चढ़ाव को बताया है। आपको याद होगा कि इस दौरान रुपया 16 फीसदी तक गिर गया था और डॉलर महंगा होकर 54.30 रुपए तक पहुंच गया था। परिषद ने अपनी त्रैमासिक रिसर्च रिपोर्ट में कहा है, “रुपए में हुई तेज उठा-पटक के चलते भारत में सोने के घरेलू दाम इधर से उधर होते रहे। इससे साल की दूसरी छमाही में आभूषणों से लेकर निवेश तक के लिए सोने की खरीद को तगड़ी चपत लगी है। इस दौरान सोने की कुल मांग में 33 फीसदी कमी आई है।” विश्व स्वर्ण परिषद के मुताबिक चालू साल 2012 में भी भारत में सोने की मांग के घटने का सिलसिला थमता नहीं दिख रहा। इससे यही लगता है कि अब सोने की खपत में चीन हमेशा के लिए भारत से आगे निकल जाएगा।
2011 की अंतिम तिमाही में भारत में 157 टन सोने का आयात किया गया है जो साल भर पहले की समान अवधि से 44 फीसदी कम था। अनुमान था कि यह आयात 281 टन रहेगा क्योंकि अमूमन अक्टूबर से दिसंबर तक दीवाली जैसे त्योहारों और शादियों की सीजन की धूम रहती है। इसलिए सोने की खरीद भी ज्यादा होती है। लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं नज़र आया। वैसे पूरे साल की बात करें तो कैलेंडर वर्ष 2011 में देश में कुल 969 टन सोने का आयात हुआ है जो 2010 की अपेक्षा 1.1 फीसदी अधिक है।
सोने के दाम पिछले साल अमेरिका के आर्थिक और यूरोप के ऋण संकट के चलते ज्यादातर ऊंचे ही बने रहे क्योंकि सुरक्षित निवेश समझकर लोग इसमें धन लगाते रहे। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सितंबर के दौरान यह अपने चरम पर पहुंच गया। उसके बाद इसमें करेक्शन का दौर शुरू हो गया। भारत में भी इस दौरान सोने के भाव रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए। एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) में सोने के सबसे सक्रिय कांटैक्ट का दाम मध्य-नवंबर में 29,526 रुपए प्रति दस ग्राम तक पहुंच गया। तीन महीने बाद फिलहाल यह गिरकर अब 28,162 रुपए प्रति दस ग्राम पर आ चुका है।
विश्व स्वर्ण परिषद में भारत के प्रबंध निदेशक अजय मित्रा मुंबई में एक संवाददाता सम्मेलन में बताया, “2012 में भारत में सोने की मांग स्थिर रहने की उम्मीद है। बहुत सारी बातें मांग को प्रभावित करती हैं। हाल-फिलहाल मुझे मांग में कोई बड़ा अंतर आता नहीं दिख रहा।” उनका कहना था कि 2012 में शादी के मुहूर्त कम हैं। हालांकि मित्रा मानते हैं कि भारतीयों का सोने के प्रति खास जुड़ाव व भरोसा है। पिछले तीन सालों के दौरान रुपए में सोने ने हर साल 20 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न दिया है।
परिषद की रिपोर्ट का आकलन है कि साल 2012 के दौरान चीन में सोने की मांग कुल मिलाकर 20 फीसदी बढ़ सकती है। इसमें करीब 10 फीसदी वृद्धि आभूषणों की खपत में होगी और 30 फीसदी मांग सोने की छड़ों और सिक्कों की बढ़ेगी।