जनवरी 2008 में 130.35 रुपए और जून 2009 में 91.75 रुपए पर रहा जीएमआर इंफ्रास्ट्रक्चर का एक रुपए का शेयर जून 2010 में जब 54.40 रुपए तक आ गया तो बाजार के लोगों ने बताया और हमें भी लगा कि यह शेयर जरूर ऊपर जाएगा। 15 जून 2010 को इसके बारे में हमने पहली बार लिखा तो ठीक एक दिन पहले यह 55.40 रुपए पर था और बीएसई व एनएसई को मिलाकर उसमें कुल करीब 35 लाख शेयरों के सौदे हुए थे। अंदर के लोगों के हवाले हमने लिखा था कि एक एफआईआई इसे खरीद रहा है और यह 58 रुपए पर पहुंच गया तो जल्दी ही 69 रुपए तक चला जाएगा।
जीएमआर का शेयर उसके बाद अक्टूबर 2010 में 61.15 रुपए तक गया जरूर। हम कह सकते हैं कि हमारी कॉल पर चार महीने पर 10 फीसदी से ज्यादा और सालाना आधार पर 30 फीसदी से ज्यादा का लाभ निवेशकों को मिल गया होगा। लेकिन बाद में वो शेयर 69 रुपए तक न जाकर किसी दिन तक 17.70 रुपए तक चला जाएगा, ऐसा हमने क्या, किसी ने भी दूर-दूर तक नहीं सोचा था। मगर, कड़वा सच यही है कि जीएमआर इंफ्रास्ट्रक्चर का शेयर 13 दिसंबर 2011 को 17.70 रुपए पर अब तक की ऐतिहासिक तलहटी बना चुका है और अब भी उससे ज्यादा ऊपर नहीं गया है। शनिवार, 7 जनवरी 2012 को वो बीएसई (कोड – 532754) में 22.70 रुपए और एनएसई (कोड – GMRINFRA) 22.75 रुपए पर बंद हुआ है। आइए देखते हैं, क्यों यह हुआ, यह क्यों हुआ?
13 दिसंबर 2011 को कंपनी के शेयर ने जब अब तक का ऐतिहासिक न्यूनतम स्तर पकड़ा, उसके दो दिन पहले कंपनी ने राजमुंदरी (आंध्र प्रदेश) के अपने बिजली संयंत्र में 384 मेगावॉट की पहली इकाई चालू की थी। उसके एक दिन पहले नई नीति के तहत उसे मेगा पावर का ओहदा मिला था। फिर भी इन अच्छी खबरों के बावजूद शेयर इतना गहरा डूबा कि जितना नीचे वह पांच सालों में भी नहीं गया था। खैर, उसके बाद से वो
अब तक 28.25 फीसदी बढ़ चुका है।
साल-डेढ़ साल से गिरने की एक वजह तो बाजार में छाया मंदी का माहौल है। दूसरे सितंबर 2011 तक कंपनी के ऊपर 26,000 करोड़ रुपए का कर्ज चढ़ चुका है। हालांकि नतीजे उसके बुरे नहीं रहे। वित्त वर्ष 2010-11 में उसकी आय 329.50 फीसदी बढकर 727.40 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 337.77 फीसदी बढ़कर 58.88 करोड़ रुपए हो गया। चालू वित्त वर्ष 2011-12 की जून तिमाही में उसने 24.49 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है, जबकि साल भर पहले की समान अवधि में उसने 6.96 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। इसके बाद सितंबर तिमाही में उसकी आय 174.10 फीसदी बढ़कर 384.25 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 550.61 फीसदी बढ़कर 58.36 करोड़ रुपए हो गया। वैसे, समेकित या कंसोलिडेट आधार पर कंपनी को सितंबर 2011 की तिमाही में 62.53 करोड़ रुपए का शुद्ध घाटा हुआ है, जबकि साल भर पहले की समान अवधि में उसे 71.12 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हुआ था।
हो सकता है कि कंपनी के शेयर के गोता लगाने की एक वजह यह भी हो। इस दौरान जून 2011 में अदालत ने कंपनी द्वारा चलाए कंसोर्टियम दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) को घरेलू व अंतरराष्ट्रीय यात्रियों से हवाई अड्डा विकास शुल्क (एडीएफ) लेने से मना कर दिया जिससे रोज 1.85 करोड़ रुपए का नुकसान होने की गणना की गई। लेकिन उसके बाद ताजा स्थिति यह है कि एयपोर्ट्स इकनॉमिक रेगुलेटरी अथॉरिटी (एरा) ने कंपनी को न केवल एडीएफ लेने की इजाजत दे दी है, बल्कि अगले दो वित्तीय वर्ष के दौरान शुल्क को 340 फीसदी बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। कंपनी अब फरवरी 2014 तक लगभग 1931 करोड़ रुपए का एडीएफ ले सकती है।
बता दें कि जीएमआर इंफ्रास्ट्रक्चर मुख्यतः एयरपोर्ट के निर्माण व संचालन और बिजली उत्पादन में सक्रिय है। दिल्ली के अलावा हैदराबाद और माले (मालद्वीप) के एयरपोर्ट का संचालन उसके हाथ में है। उसकी लगभग आधी कमाई एयरपोर्ट के धंधे से होती है। इधर कंपनी के लिए दो और सकारात्मक बातें यह हुई हैं कि एरा ने उसे हवाई अड्डों पर मिली 250 एकड़ अतिरिक्त जमीन से कमाई की इजाजत दे दी है और डायल के लिए सरकारी वादे के मुताबिक इक्विटी पर 16 फीसदी रिटर्न सुनिश्चित किया जा रहा है।
इन सारी चीजों को मिलाकर हम कह सकते हैं कि कंपनी पहले से काफी बेहतर स्थिति में है और उसके सितारे यहां से चमक सकते हैं। 2009-10 में कंपनी का प्रति शेयर लाभ (ईपीएस) मात्र 4 पैसे था। लेकिन उसका शेयर 692 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा था। इस समय स्टैंड-एलोन आधार पर उसका ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस 36 पैसे है और उसका शेयर 63.06 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। जाहिर है कि बाजार ने इसे नजरों से गिराया जरूर है, फिर भी यह काफी चढ़ा हुआ है। ज्यादा कुछ न कहकर बस इतना कहना है कि जीएमआर इंफ्रा में कम से कम दो साल के नजरिए से निवेश करना ठीक रहेगा। यह कम से कम 50 फीसदी रिटर्न दे सकता है। हां, निवेश करने से पहले अपने स्तर पर रिसर्च जरूर कर लीजिएगा। हमने तो बस ये जानकारियां देकर आपको और जानकारियां जुटाने के लिए प्रेरित भर किया है।