रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में आठवीं बार ब्याज दरें (रेपो व रिवर्स दर) बढ़ा दी हैं। इसका सीधा असर बैंकों द्वारा दिए जा रहे ऑटो, होम और कॉरपोरेट लोन पर पड़ेगा। लेकिन बैंक फिलहाल इस महीने ब्याज दरों में कोई नई वृद्धि नहीं करने जा रहे हैं।
इंडियन ओवरसीज बैंक के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक (सीएमडी) एम नरेंद्र का कहना है कि रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक नीति को कड़ा किए जाने का तत्काल कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि इस महीने ब्याज दरें स्थिर रहेंगी। मार्च के बाद इनका बढ़ना कॉल मनी की दरों जैसे बहुत से कारकों पर निर्भर करेगा।”
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक एस सी कालिया ने भी कहा कि रेपो व रिवर्स रेपो में वृद्धि उम्मीद के अनुरूप है। नीति का संकेत साफ है। लेकिन मार्च अंत से पहले बैंकों की ब्याज दर में कोई वृद्धि होने की उम्मीद नहीं है। बैंक ऑफ बड़ौदा के सीएमडी एम डी माल्या ने कहा कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति से लगता है कि आगे ब्याज दरें और बढ़ सकती हैं। यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के सीएमडी भास्कर सेन के मुताबिक ब्याज दरों के बढ़ने की पक्की संभावना होगा क्योंकि रिजर्व बैंक के कदम से बैंकों की फंड लागत बढ़ जाएगी।
एचडीएफसी बैंक के हेड ट्रेजरार आशीष पार्थसारथी ने कहा कि रेपो व रिवर्स रेपो में 0.25 फीसदी वृद्धि की उम्मीद सबको थी। पंजाब एंड सिंध बैंक के कार्यकारी निदेशक पी के आनंद का कहना है कि 31 मार्च से पहले बैंक अपनी ब्याज दरों में कोई फेरबदल नहीं करेंगे। जो भी होगा, वह अप्रैल में नए वित्त वर्ष की शुरुआत से होगा। बैंक ऑफ बड़ौदा की मुख्य अर्थशास्त्री रूपा रेगे नित्सुरे ने आशंका जताई कि रिजर्व बैंक अगले वित्त वर्ष में मौद्रिक नीति को और कड़ा कर सकता है।
नोट करने की बात है कि रिजर्व बैंक ने जापान की प्राकृतिक आपदा और उससे उपजे परमाणु संकट के असर को आंके बिना ब्याज दरें बढ़ाई हैं। उसका कहना है कि जापान की प्राकृतिक आपदा के आर्थिक प्रभावों का आकलन करना अभी बहुत जल्दबादी होगी। लेकिन साथ ही उसने माना है कि सामान्य स्थिति बहाल होने पर जापान में पुनर्निर्माण पर खर्च बढ़ेगा जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को फायदा मिलेगा। परमाणु बिजली की जगह जापान के ताप बिजली अपनाने से पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्य पर दबाव बढ़ सकता है।
Agar isi tarah daren badhti rahin to aam aadmi kaise jiyega.Kutch to hamein karna hee hoga.