बसु का कहा सच, खाद्य मुद्रास्फीति 1.81% पर

आपको याद होगा कि ठीक एक हफ्ते पहले 15 दिसंबर को वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने दावा किया था कि जनवरी के पहले हफ्ते तक खाद्य मुद्रास्फीति तीन फीसदी से नीचे आ जाएगी। लेकिन ये तो कमाल ही हो गया! दिसंबर के दूसरे हफ्ते में ही यह दो फीसदी से नीचे आ गई। गुरुवार को वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार, 10 दिसंबर को खत्म हफ्ते में खाद्य मुद्रास्फीति की दर 1.81 फीसदी रही है।

यह 9 फरवरी 2008 के बाद खाद्य मुद्रास्फीति का सबसे निचला स्तर है। उस समय यह 2.26 फीसदी दर्ज की गई थी। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित खाद्य वस्तुओं की महंगाई की दर 3 दिसंबर 2011 को समाप्त सप्ताह में 4.35 फीसदी थी, जबकि साल भर इसी सप्ताह यह 13.22 फीसदी के उच्च स्तर पर थी।

खाद्य मुद्रास्फीति में यह कमी सब्जियों, प्याज, आलू और गेहूं की कीमतों में कमी से चलते आई है। इस दौरान साल भर पहले की तुलना में प्याज़ के दाम 49.38 फीसदी घटे हैं, वहीं आलू के भाव 34.39 फीसदी नीचे आए हैं। इसी तरह सालाना आधार पर गेहूं 4.21 फीसदी सस्ता हुआ है। कुल मिलाकर सब्जियों के दामों में 26.37 फीसदी की कमी आई है।
हालांकि प्रोटीन आधारित अन्य खाद्य वस्तुओं के दामों में तेजी बनी हुई है। इस दौरान दालों के दाम 14.22 फीसदी ऊंचे थे, वहीं दूध 11.19 फीसदी, अंडा, मांस व मछली 9.25 फीसदी महंगी रही। इसी तरह साल भर पहले की अपेक्षा फल 8.89 फीसदी और मोटे अनाज 1.68 फीसदी महंगे हो गए।

10 दिसंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान कुल प्राथमिक उत्पादों की महंगाई 3.78 फीसदी पर थी, जो इससे पिछले सप्ताह 5.48 फीसदी थी। थोक मूल्य सूचकांक में प्राथमिक उत्पादों का योगदान 20.12 फीसदी है। गैर खाद्य वर्ग की महंगाई समीक्षाधीन सप्ताह में 1.37 फीसदी के स्तर पर थी। इससे पहले 3 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में यह 2.12 फीसदी थी। ईंधन और बिजली वर्ग की मुद्रास्फीति 15.24 फीसदी पर बनी हुई है। इससे पिछले सप्ताह भी यह इसी स्तर पर थी। सकल मुद्रास्फीति दिसंबर, 2010 के बाद से 9 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। पिछले महीने नवंबर में यह 9.11 फीसदी थी और अक्टूबर में 9.73 फीसदी थी।

जानकारों का कहना है कि खाद्य मुद्रास्फीति में भारी गिरावट सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक दोनों के लिए राहत देने वाली है। रिज़र्व बैंक मार्च 2010 के बाद से  ब्याज दरों में 13 बार बढ़ोतरी कर चुका है। 16 दिसंबर को पहली बार उसने ब्याज दरों से कोई छेड़छाड़ नहीं की। लेकिन उम्मीद की जा रही है कि अगले महीने 24 जनवरी, मंगलवार को जब वह मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही समीक्षा पेश करेगा तो ब्याज दरों में सीधे आधा फीसदी की कमी कर सकता है।

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