खाद्य मुद्रास्फीति का बढ़ना और हमारे वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी का चिंतित होना लगता है जैसे अब अनुष्ठान बन गया है। 24 सितंबर को खत्म हफ्ते में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 9.41 फीसदी पर पहुंच गई। इसके जारी होने के बाद वित्त मंत्री ने कहा कि यह निश्चित तौर पर चिंता का कारण है।
वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक फल, सब्जी, दूध व अंडा, मांस-मछली की कीमत में तेजी के चलते 24 सितंबर को समाप्त हुए सप्ताह में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति बढ़कर 9.41 फीसदी पर पहुंच गई। थोक मूल्यों के सूचकांक पर आधारित खाद्य मुद्रास्फीति इससे पिछले हफ्ते 9.13 फीसदी और पिछले साल इसी दौरान 16.88 फीसदी थी।
सरकारी आंकड़ों से जाहिर होता है कि समीक्षाधीन सप्ताह में सब्जियां एक साल पहले से 14.88 फीसदी महंगी थी। इसी दौरान आलू 9.34 फीसदी और प्याज 10.58 फीसदी महंगी चल रही थी। इसी तरह फलों के दाम भी सालाना आधार पर 11.72 फीसदी, दूध 10.35 फीसदी और अंडा, मीट व मछली के दाम औसतन 10.33 फीसदी ऊंचे थे। अनाज के थोक दाम में एक साल पहले की तुलना में 4.57 फीसदी और दालों में 7.54 फीसदी की तेजी दिखी।
ताजा आंकड़ों पर वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा, ‘‘ऊंची खाद्य मुद्रास्फति निश्चित तौर पर चिंता का कारण है। हमें यह देखना होगा कि इसे कैसे नीचे लाया जाए? मैं रिजर्व बैंक के साथ लगातार संपर्क में हूं।’’ इस साल मानसून सामान्य रहा और सरकार ने उम्मीद जताई थी कि मुद्रास्फीति में नरमी आएगी। दिक्कत यह है कि वित्त मंत्री रिजर्व बैंक के कितने भी संपर्क में रहे, लेकिन 12 बार ब्याज दरें बढ़ाने के बावजूद मुद्रास्फीति पर कोई अंकुश नहीं लग पा रहा। रिजर्व बैंक इससे ज्यादा कुछ कर नहीं सकता। और, सरकार इसके अलावा दूसरा कुछ कर नहीं रही है।