एक तरफ उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती कह रही हैं कि भूमि अधिग्रहण पर उनकी नीति हरियाणा सरकार से भी अच्छी है और केंद्र सरकार तक को इसे अपना लेना चाहिए। लेकिन दूसरी तरफ किसानों को इससे अपनी सांसत बढ़ने का अंदेशा है। अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस रामचंद्रन पिल्लई ने कहा है कि माया सरकार द्वारा भट्टा-परसौल काण्ड के बाद अपनाए गए निदान से किसान खुश नहीं हैं। वे इसे भी सरकार द्वारा अपनी जिम्मेदारियों से बच निकलने का एक जरिया भर मानते हैं।
पिल्लई ने कहा कि राज्य सरकार की नई नीति से भी सरमाएदारों का ही भला होगा और किसान का पहले से ज्यादा उत्पीड़न होगा। जमीन के लेनदेन में दलाल पनपेंगे और किसानों के लिए बाधाएं बढ़ जाएंगी। कुल मिलाकर इस व्यवस्था से बीमारी का इलाज होने के बजाय वह पहले से ज्यादा बढ़ जाएगी।
शुक्रवार शाम दिल्ली जाते समय किसानों के दो दिवसीय पड़ाव को संबोधित करने मथुरा पहुंचे अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस रामचंद्रन पिल्लई ने संवाददाताओं से कहा कि भूमि अधिग्रहण के संबंध में मायावती सरकार द्वारा घोषित की गई नीति किसानों के लिए अत्यंत खतरनाक है।
उन्होंने कहा कि इस नीति के अनुसार भूमि अधिग्रहण के परिदृश्य से सरकार के हट जाने के बाद कॉरपोरेट सेक्टर व भू-माफिया हर गांव में गरीब किसानों के खिलाफ वहीं के पैसे वाले किसानों को खड़ाकर बिना कोई जहमत उठाए उन पर इतना दबाव बना लेंगे कि वे ठीक से सौदा भी नहीं कर पाएंगे।
किसान नेता के अनुसार किसानों को सीधे बाजार मूल्य दिलाने का नियम बनाया जाना चाहिए और जिस किसान की भूमि अधिगृहीत किया जाए, उसके परिवार के कम से कम एक व्यक्ति को स्थाई रोजगार भी दिलाया जाए। उन्होंने अधिग्रहण के बाद भू-उपयोग परिवर्तन से होने वाले फायदे में भी किसान को हिस्सा दिलाए जाने की बात कहीं।