रिजर्व बैंक ने देश के अधिक से अधिक लोगों तक वित्तीय सेवाओं तक पहुंचाने के लिए चल रही वित्तीय समावेश की कोशिशों को नाकाफी बताया है। उसके मुताबिक वित्तीय समावेश के लक्ष्य को हासिल करने के लिए और ज्यादा प्रयास की जरूरत है। साथ ही जरूरत है कि आर्थिक विकास की सफलता को व्यापक आधार देने के लिए उद्यमशीलता की भावना पैदा की जाए।
रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के सी चक्रवर्ती ने मंगलवार को अहमदाबाद के एन्टरप्रेन्योशिप डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट (ईडीआई) के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही। उनका कहना कि इन कोशिशों में गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) की बड़ी भूमिका निभानी चाहिए।
उन्होंने कहा, “भारत की विकासगाथा प्रभावशाली रही है। लेकिन इसके अन्य आयामों को लेकर चिंता होती है। आय के वितरण का मसला काफी अहम है। हमें निपट गरीबी की समस्या के समाधान के लिए अभी बहुत कुछ करना है।”
श्री चक्रवर्ती ने इस तथ्य पर ध्यान दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा सालाना पेश किए जानेवाले मानव विकास सूचकांक के पैमाने पर 2010 में भारत दुनिया के 169 देशों की सूची में 119वें नंबर पर रहा है। उनका कहना था कि भारत अपेक्षित आयु, शिक्षा व प्रति व्यक्ति आय जैसे तकरीबन सभी मानकों पर बदलर स्थिति में है। यहां पानी, सफाई, बिजली, इंफ्रास्ट्रक्चर और पर्यावरण के ह्रास जैसे गंभीर समस्याएं हैं।