ईक्लर्क्स: बड़ी शांति से मंजिल तक

एक मोटी-सी बात गांठ बांध लें कि शेयरों का धंधा दुनिया का इकलौता धंधा है जो अकेले किया जाता है। दूसरों के चक्कर में पड़े तो समझिए कि खटिया खड़ी, बिस्तरा गोल। आप इस बात की भी तस्दीक करेंगे कि चैनलों या अखबारों में दी गई एनालिस्टों की दस में आठ सलाहें गलत होती हैं। इसलिए हमारी कोशिश आपको ‘चुटकी भर टिप्स, मुठ्ठी भर मंत्र’ देने की है ताकि आप अपने फैसले खुद कर सकें। हमारी सलाह है कि आप हमारी सलाह को भी तब तक न मानें जब तक खुद ठोंक बजाकर संतुष्ट नहीं हो जाते। खैर, आज चर्चा केपीओ (नोलेज प्रोसेस आउटसोर्सिंग) के धंधे में लगी कंपनी ईक्लर्क्स सर्विसेज की।

करीब साल पहले 20 अक्टूबर 2010 को हमने यहीं पर इस स्टॉक के बारे में लिखा था। तब इसका दस रुपए अंकित मूल्य का शेयर 600 रुपए पर ट्रेड हो रहा था। अभी कल 11 अक्टूबर 2011 को एनएसई (कोड – ECLERX) में 732.40 रुपए और बीएसई (कोड – 532927) में 731.40 रुपए पर बंद हुआ है। हालांकि कल ऊपर में 739.90 रुपए तक भी गया था। तीन महीने पहले 8 जुलाई 2011 को 874 रुपए पर 52 हफ्ते का शिखर भी बना चुका है।

ध्यान दें कि हमने ठीक-ठीक लिखा क्या था? हमने लिखा था, “यह चालू वित्त वर्ष 2010-11 के अनुमानित ईपीएस 38 रुपए से 15.8 गुने यानी पी/ई पर ट्रेड हो रहा है। इसलिए मौजदा पी/ई पर भी यह साल भर में 732 रुपए तक जा सकता है।” हम इससे यह भ्रम नहीं फैलाना चाहते कि शेयरों के मूल्य की इतनी सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है। लेकिन इतना जरूर कहना चाहते हैं कि कंपनी के फंडामेंटल्स के आधार पर निवेश करना ज्यादा सुरक्षित होता है। कोई बहुत ज्यादा ऊंच-नीच नहीं हुई तो कंपनी के बढ़ने के साथ आपके निवेश का मूल्य बढ़ सकता है।

बीते साल भर में हुआ यह है कि जहां 2010-11 में कंपनी का ईपीएस (प्रति शेयर मुनाफा) 38 रुपए रहने का अनुमान था, वहीं असल में यह 41.30 रुपए रहा है। इधर चालू वित्त वर्ष 2011-12 की जून तिमाही में उसकी बिक्री 29 फीसदी बढ़कर 99.43 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 20.56 फीसदी बढ़कर 35 करोड़ रुपए हो गया है। इसके बाद उसका ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस 46.63 रुपए हो गया है। इस तरह इस समय इसका शेयर 15.7 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है।

आप देख सकते हैं कि इस स्टॉक बारे में बाजार के नजरिए में ज्यादा फर्क नहीं आया है। साल भर पहले 15.8 का पी/ई अनुपात था। अभी 15.7 का पी/ई अनुपात है। जुलाई 2011 में यह अनुपात 20.34 तक चला गया था तो शेयर 52 हफ्ते के शिखर पर पहुंच गया। साल भर में जो फर्क पड़ा है, वो यह कि कंपनी का ईपीएस करीब 22 फीसदी बढ़ गया है। उसका शेयर भी ठीक इसी अनुपात में 22 फीसदी बढ़ा है। इस मुकाम पर हम तो यही कहेंगे कि हमारी सलाह पर जिन्होंने भी इसमें निवेश किया था, उन्हें इतने लाभ से संतुष्ट होकर निकल लेना चाहिए। फिलहाल यह धन एफडी वगैरह में रख देना चाहिए और अगले दो-तीन महीनों में जब यह गिरकर 700 रुपए के नीचे जाए तो फिर से खरीद लेना चाहिए।

नए निवेशकों को भी फिलहाल इस शेयर की चाल पर नजर रखनी चाहिए क्योंकि यह इसी साल मार्च 2011 में 13.62 तक के पी/ई पर ट्रेड हो चुका है। इसलिए इसके 635 तक गिरने की गुंजाइश बनी हुई है। वैसे, इस कंपनी को लेकर लंबे समय का नजरिया अच्छा ही है। एक तो केपीओ का धंधा आगे बढ़ना ही है। दूसरे, सबसे बड़ी बात यह है कि कंपनी इस मौके को बराबर पकड़ रही है। पिछली पांच तिमाहियों में उसकी बिक्री 33 फीसदी और परिचालन लाभ 37 फीसदी की औसत दर से बढ़ा है। पिछले तीन सालों में उसकी बिक्री 41.15 फीसदी और शुद्ध लाभ 40.03 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ा है। इन सबसे ज्यादा चौंकानेवाली बात तो यह है कि जनवरी-मार्च 2009 में जो शेयर 57.10 रुपए से 83.33 रुपए के बीच डोल रहा था, वह बाद के दो-ढाई सालों में दस गुना हो चुका है।

खैर, इसका मतलब यह नहीं है कि आगे भी यही पैटर्न रहेगा। लेकिन इतना है कि हज़ारों कंपनियों की भीड़ में यह जोखिमों से जूझती हुई आगे बढ़ती अच्छी व मजबूत कंपनी है। शेयरधारकों के प्रति सम्मान का भाव रखती है। बराबर लाभांश देती है। इसका लाभांश यील्ड 3.06 फीसदी है। इस साल उसने दस रुपए के शेयर पर 22.50 रुपए यानी 225 फीसदी का लाभांश दिया है। धंधा है तो जोखिम भी है। कुशल कर्मचारियों का छोड़कर जाना, यूरोप व अमेरिका में छाई आर्थिक सुस्ती, मुद्रा की विनिमय दरों के झटके। लेकिन कंपनी का अतीत बताता है कि वह इससे निपट लेगी।

सितंबर 2011 तक की स्थिति के अनुसार कंपनी की कुल इक्विटी 29.01 करोड़ रुपए है। इसका 54.84 फीसदी प्रवर्तकों के पास है, जिसमें से 27.45 फीसदी देशी व 27.39 फीसदी विदेशी प्रवर्तकों के पास है। लेकिन छह के छह प्रवर्तक हैं मूलतः भारतीय। कंपनी में एफआईआई ने 24.46 फीसदी और डीआईआई ने 9.54 फीसदी शेयर खरीद रखे हैं। इसके कुल शेयरधारकों की संख्या 13,407 है जिसमें से 12,657 यानी 94.4 फीसदी छोटे निवेशक हैं जिनके पास कंपनी के कुल 3.23 फीसदी शेयर हैं। वहीं कंपनी के 11 बड़े शेयरधारकों के पास उसके 26.68 फीसदी शेयर हैं।

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