वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने उम्मीद जताई कि देश में प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) अप्रैल 2012 से अमल में आ जाएगी। आयकर की यह नई व्यवस्था 1961 के आयकर कानून का स्थान लेगी।
बुधवार को राजधानी दिल्ली में ‘कर व विषमता’ विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुखर्जी ने कहा कि प्रस्तावित प्रत्यक्ष कर संहिता से प्रत्यक्ष करों के संबंध में नीतिगत बदलाव आएगा। इसे अगले वित्त वर्ष से अमल में लाया जाना है। उन्होंने काले धन की समस्या से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढाने पर भी बल दिया। कर प्रणाली को आधुनिक बनाने के प्रयास के तहत सरकार ने नई व्यवस्था लाने का प्रस्ताव किया है।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि सरकार ने कर चोरी तथा काले धन के मुद्दे से निपटने के लिए चार आयामी रणनीति अपनाई है। इसमें काले धन के खिलाफ जारी वैश्विक मुहिम में शामिल होने के साथ कानूनी व संस्थागत मसौदा तैयार करना शामिल हैं। उन्होंने कहा कि वैसे तो रणनीति का असर दिखने लगा है। लेकिन सीमापार सौदों में जटिलता बढ़ रही है और यह कर प्रशासकों के लिए बड़ी चुनौती है।
उन्होंने कहा, “कुछ क्षेत्रों में कर प्रणाली में पारदर्शिता के अभाव से चुनौतियां बढ़ रही हैं। जी-20 द्वारा उठाए गए कदमों के बाद इसमें कुछ चीजें सुधरी हैं। हमें इसे संगत निष्कर्ष तक पहुंचाने की जरूरत है।” देश में कर सुधारों का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि भारत इस दिशा में धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार करदाताओं को बेहतर सेवा देने पर भी ध्यान दे रही है।