धमाके अदालत को चुप कराने की साजिश, हूजी ने ले ली जिम्मेदारी

दिल्ली हाईकोर्ट के सामने हुए विस्फोट की जिम्मेदारी पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन हरकत-उल-जिहाद इस्लामी (हूजी) ने ले ली है। लेकिन माना जा रहा है कि यह अदालत को चुप कराने की कोशिश है जिसके पीछे देश की भी कुछ राजनीतिक ताकतों का हाथ हो सकता है। गौरतलब है कि अदालतों की सक्रियता के चलते ही इस समय ए राजा से लेकर सुरेश कलमाडी, जनार्दन रेड्डी और अमर सिंह जैसे नेताओं को तिहाड़ जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ा है।

हूजी ने अपने ईमेल में मांग की है कि अफजल गुरु की मौत की सजा माफ की जाए। मीडिया को भेजे इस ईमेल में उसने कहा है कि अगर अफजल गुरु की फांसी माफ करने की मांग मानी नहीं गई तो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्टों में विस्फोटों की ऐसी कई वारदातें होंगी।

बता दें कि अफजल गुरु संसद पर 13 दिसंबर 2001 को हुए आतंकवादी हमले का मुख्य दोषी है और सुप्रीम कोर्ट ने 2004 में उसे फांसी की सजा सुना दी है। कांग्रेस और यूपीए सरकार भी उसे फांसी देने की पक्षधर हैं। लेकिन सरकार ने फिलहाल दिल्ली हाईकोर्ट के सामने हुए विस्फोट की जिम्मेदारी लेनेवाले हूजी के ईमेल की प्रामाणिकता स्वीकार नहीं की है और इसकी जांच की जा रही है।

एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) के प्रमुख एस सी सिन्हा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि फिलहाल इस ईमेल की सत्यता के बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगी। हालांकि उन्होंने कहा कि हूजी एक बड़ा आतंकवादी संगठन है। इसलिए इस ईमेल को हम गंभीरता से ले रहे हैं।

विस्फोटों के पीछे जो भी राजनीतिक शक्तियां हों, लेकिन इसने हमारी खुफिया एजेंसियों की सतर्कता की पोल खोल दी है। चार महीने में दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर दूसरी बार बम विस्फोट हुआ है। सवाल उठने लगे हैं कि दिल्ली और मुंबई के बार-बार आसान निशाना बनने के बावजूद सुरक्षा और सूचना के पुख्ता इंतजाम करने में एजेंसियां क्यों विफल रही हैं।
बता दें कि करीब चार महीने पहले 25 मई को हाई कोर्ट के गेट नंबर सात के पास बनी पार्किंग में एक कार के नीचे बम रखा गया था। इस विस्फोट के चलते हालांकि कोई हताहत नहीं हुआ था। उस समय यह माना जा रहा था कि बम किसी की जान लेने के इरादे से नहीं लगाया गया था। इसी के चलते इसे महज रिहर्सल के रूप में देखा जा रहा था।

विस्फोट के बाद दिल्ली पुलिस ने कहा था कि इसमें आतंकवादियों के स्लीपर सेल का हाथ है। इस मामले में पुलिस ने आमिर रजा अंसारी को मास्टरमाइंड बताया था। लेकिन चार महीने बीतने के बाद उसकी गिरफ्तारी नहीं हुई है। इस वारदात के डेढ़ महीने बाद ही आंतकियों ने 13 जुलाई को मुंबई में तीन ब्लास्ट किए थे, जिसमें 25 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 150 लोग घायल हुए थे। इस मामले की जांच में भी कोई खास प्रगति नहीं हुई है। गृहमंत्री पी. चिदंबरम तक ने कहा था कि इसके पीछे इंडियन मुजाहिदीन का हाथ है, लेकिन जांच के नाम पर डेढ़ महीने में पुलिस के हाथ कुछ संदिग्ध ही लगे हैं।

अब दिल्ली हाईकोर्ट के गेट नंबर पांच के सामने विस्फोट हो गया है। यह जगह संसद भवन से लगभग एक किलोमीटर दूर है। प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी के अध्यक्ष नितिन गडकरी ने गृह मंत्री पर सीधा निशाना साधते हुए कहा, “चिदंबरम को राजनीतिक विरोधियों की ओर बंदूकें तानने के बजाय आतंकवाद से निपटने में अपनी ऊर्जा लगानी चाहिए। साथ ही खुफिया एजेंसियों की विफलता की भी जांच होनी चाहिए।”

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