वंचितों के उद्धार की न मंशा, न ही नीयत
2024-09-06
जिस तरह नोटबंदी के घोषित लक्ष्य और असली मकसद अलग-अलग थे, उसी तरह जनधन खातों का असली मकसद देश के वंचित दबकों को सशक्त बनाना कतई नहीं था। अजीब बात है कि करोड़ों लोगों के पास कमाई के साधन और पेट भरने को अनाज नहीं, उनके बैंक खाते खोलने का ढोल बजाया जा रहा है! घर में नहीं है दाने, अम्मा चली भुनाने। सरकार भलीभांति जानती है कि किसानों को सौगात नहीं, फसलों का वाजिब दाम चाहिए,औरऔर भी