ट्रेडिंग है बिजनेस, निवेश ऐसा नहीं
किसी अन्य व्यापार की तरह शेयर बाज़ार की ट्रेडिंग भी एक बिजनेस है। उसका सारा जोखिम हमें खुद उठाना पड़ता है। उस पर टैक्स भी बिजनेस जैसा लगता है। वहीं, लंबे समय के निवेश में हम खुद बिजनेस नहीं करते, बल्कि दूसरों द्वारा किए जा रहे संभावनामय बिजनेस पर दांव लगाते हैं। उसके मालिकाने का अंश खरीदकर रख लेते हैं। कितने साल तक, यह हमारे लक्ष्य पर निर्भर है। अब तथास्तु में जमे-जमाए बिजनेस वाली एक कंपनी…औरऔर भी
रोचक है कॉल-पुट ऑप्शन का रिश्ता
निवेशकों या ट्रेडरों को अगर लगता है कि शेयर बाज़ार में रिस्क बढ़ रहा है और गिरावट की आशंका ज्यादा है तो वे रिस्क से बचने के लिए पुट ऑप्शन खरीदते हैं जिसमें उन्हें अपने शेयर पहले से तय तारीख और भाव पर बेचने का अधिकार मिला रहता है। ये सौदे अमूमन महीने भर में एक्सपायर हो जाते हैं। ऑप्शन सौदे उनकी होल्डिंग के लिए किसी बीमा पॉलिसी की तरह काम करते हैं। अब शुक्रवार का अभ्यास…औरऔर भी
चंचलता का सूचकांक परखते हैं आप?
शेयर बाज़ार की लहरों के ज़ोर व रुझान को पकड़ने के लिए ट्रेडर कई संकेतकों का इस्तेमाल करते हैं। कुछ ट्रेडर निफ्टी के स्प्रेड या दायरे को महत्व देते हैं। लेकिन बैकों, संस्थाओं व प्रोफेशनल ट्रेडरों के बीच सबसे खास व अहम संकेतक है वोलैटिलिटी इंडेक्स या इंडिया वीआईएक्स। यह सूचकांक निफ्टी-50 के ऑप्शंस (पुट और कॉल) में निहित चंचलता को नापता है। इसे बाज़ार में छाए डर का पैमाना भी मानते हैं। अब गुरु की दशा-दिशा…औरऔर भी
बेचने को व्याकुल, खरीदने में संकोची
बाज़ार में छोटे-बड़े जो भी निवेशक या ट्रेडर भाग लेते हैं, उनके पास थोड़ी-बहुत मात्रा में शेयर ज़रूर होते हैं। इसलिए बाज़ार में जब डर छाता है और बिकवाली चलने लगती है, तब हर कोई अपने शेयर बेचकर निकल लेना चाहता है। उस दौरान बहुत ही कम लोग होते हैं जो खरीदने का जोखिम उठाते हैं। बेचने की आतुरता ज्यादा और खरीदने की लालच बेहद कम। सप्लाई ज्यादा, मांग कम। नतीजा भारी गिरावट। अब बुधवार की बुद्धि…औरऔर भी