सतर्कता ही काम आए इस दुनिया में
साल 2018 अपने आखिरी मुकाम पर पहुंच गया। आगे बढ़ने से पहले क्या खोया, क्या पाया इसका थोड़ा हिसाब लगा लेना चाहिए। लेकिन इसको लेकर ज्यादा मगजमारी नहीं करनी चाहिए क्योंकि पल-पल बदलती इस दुनिया में गुजरी बातें नहीं, हमारी सतर्कता ही काम आती है। बीते पलों से हम यह सर्तकता बढ़ाने का सबक ही सीख सकते हैं। बाकी जो पहले सफल हुआ, वह आगे भी सफल होगा, यह ज़रूरी नहीं है। अब परखें सोमवार का व्योम…औरऔर भी
शोर से अच्छे निवेश पर फर्क नहीं
बाज़ार में बहुत शोर है। अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ते पर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक देश से भागते रहे तो क्या होगा? लोकसभा चुनावों में मोदी का जादू नहीं चला तो! शेयर बाज़ार मंदी की गिरफ्त में आ गया तो! लेकिन इस सारे शोर और सवालों के बीच हमारे जीवन और भारतीय अर्थव्यवस्था पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ने जा रहा। इसी तरह कुछ ऐसी कंपनियां हैं जिन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। तथास्तु में ऐसी ही एक कंपनी…औरऔर भी
बना रहे ठगी से बचाने का रक्षा-कवच
शेयर बाज़ार में फैले ठगों ने देश में इक्विटी संस्कृति का स्वस्थ विकास रोक रखा है। इस संस्कृति का स्वस्थ विकास ज़रूरी है ताकि उद्योग को अवाम की रिस्क पूंजी मिले, आम लोग भी रिस्क को समझते हुए उद्योग के बढ़ने का फायदा उठाएं और देश का औद्योगिकीकरण हो जिससे रोज़गार के नए अवसरों का सृजन हो। अर्थकाम आम निवेशकों का रक्षा-कवच बनने में लगा है ताकि उन्हें ठगी से बचाया जा सके। अब शुक्र का अभ्यास…औरऔर भी
गुर सिखाने के बहाने ठगते गुरुघंटाल
शेयर बाज़ार के गुर सिखाने के नाम पर भी निवेशकों के साथ ठगी हो रही है। ऐसे गुरु-घंटाल सोशल मीडिया या निजी संपर्कों का सहारा लेकर अपना जाल फेंकते हैं। वित्तीय आज़ादी की लालच में हर कोई इनके फ्री सेमिनार में चला जाता है। उसके बाद एकमुश्त 30-35 हज़ार फीस में आजीवन सिखाने का वादा। लेकिन उनका जालबट्टा कसता जाता है और आप उनके मकड़जाल में कीट की तरह फंसते चले जाते हो। अब गुरुवार की दशा-दिशा…औरऔर भी