वही बाज़ार, वही कंपनी, वही शेयर, वही चार्ट। फिर अलग-अलग व्याख्या और राय क्यों? टेक्निकल एनालिसिस की दुरूह किताबें और सैकड़ों इंडीकेटर इतना भ्रम फैला देते हैं कि चार्ट साफ दिखने के बावजूद तस्वीर एकदम धुंधली हो जाती है। कभी कोई इंडीकेटर काम करता दिखता है तो अगले ही सौदे में वह फेल हो जाता है। फिर हम किसी चमत्कारी मंत्र की तलाश में भागते-भागते मृग मरीचिका में फंस जाते हैं। अब करते हैं शुक्र का अभ्यास…औरऔर भी

व्यवहार में जो भी हो, सिद्धांततः हम शेयर बाज़ार में उन्हीं सूचनाओं के आधार पर ट्रेड कर सकते हैं जो सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध हैं। फिर, हरेक सूचना शेयर के भावों में झलक जाती है। अगर हम भावों की चाल पढ़ना सीख लें तो सफलता की कुंजी मिल जाएगी। भावों की सारी हरकत चार्ट पर झलकती है। ये चार्ट तमाम इंडीकेटरों के साथ बीएसई व एनएसई की साइट पर मुफ्त में उपलब्ध हैं। अब गुरुवार की दशा-दिशा…औरऔर भी

कानून कहता है कि अगर कंपनी का कोई भी प्रवर्तक, कर्मचारी या बैंकर व संस्थाएं अंदर की अघोषित सूचना के आधार पर ट्रेड करता पाया गया तो उसे इनसाइडर ट्रेडिंग के अपराध की सज़ा भुगतनी होगी। पूंजी बाज़ार नियामक संस्था, सेबी इस गुनाह में रिलायंस इंडस्ट्रीज़ जैसी रसूखदार कंपनी तक पर करीब 1000 करोड़ रुपए का जुर्माना लगा चुकी है। अमेरिका में तो इस अपराध में जेल भी जाना पड़ सकता है। अब चलाएं बुधवार की बुद्धि…औरऔर भी

शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग से कमाना जानकारियों का खेल है। जिसके पास कंपनी के बारे में जितनी सटीक जानकारी, वो उससे उतना ही ज्यादा फायदा उठा सकता है। मगर, सारा बाज़ार ऐसे नियमों से बांधा गया है कि हर किसी को समान मौका मिल सके। मसलन, कंपनी के बारे में सबसे ज्यादा जानकारी उसके प्रवर्तकों, बैंकरों या उनसे जुड़ी वित्तीय संस्थाओं को होती है। लेकिन ऐसी सूचनाओं पर ट्रेड करना कानूनन गुनाह है। अब मंगल की दृष्टि…औरऔर भी