जंगल को देखना और पेड़ों का न देखना, यह तरीका आम जीवन के लिए सही नहीं होता। निवेश में तो यह कतई कारगर नहीं। मसलन, इस समय एनएसई निफ्टी 23.65 और बीएसई सेंसेक्स 22.45 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है, जबकि बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक 64.81 के पी/ई अनुपात पर। इससे कोई भी निष्कर्ष निकाल सकता है कि स्मॉलकैप स्टॉक इस समय बहुत महंगे हैं। तथास्तु में इस बार ऐसी स्मॉलकैप कंपनी जो अभी सस्ती है…औरऔर भी

बाज़ार में हर दिन 1700 से ज्यादा कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग होती है। इनमें से सैकड़ों उठते और सैकड़ों गिरते हैं, जबकि 80-90 स्थिर रहते हैं। हमें उठनेवाले शेयरों को पकड़ना है क्योंकि गिरते शेयरों में खेलने का जोखिम उठाना हमारे वश की बात नहीं। उठनेवाले शेयरों में भी हम हर तरफ मुंह नहीं मार सकते हैं। हमें अपने माफिक पड़नेवाले 15-20 शेयरों को ही चुनकर उनमें ट्रेडिंग करनी चाहिए। अब करते हैं शुक्रवार का अभ्यास…औरऔर भी

रिटेल ट्रेडर अगर वित्तीय बाज़ार से कमाना चाहते हैं तो उन्हें बहती गंगा में हाथ धोने का हुनर सीखना पड़ेगा। धार, जिसकी दिशा व उफान वित्तीय संस्थाएं, बैंक व एचएनआई निवेशक तय करते हैं। उन्हें अपना सारा दिमाग खबरों पर नहीं, बल्कि इन शक्तियों की चाल को समझने पर लगाना चाहिए। चूंकि बाज़ार में सारे सौदे दर्ज होते और भावों के चार्ट पर झलकते हैं, इसलिए बड़ों की चाल को समझना मुश्किल नहीं। अब गुरुवार की दशा-दिशा…औरऔर भी

नदी या समुद्र में दो-चार लोटा पानी डाल देने से कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन बांध का पानी छोड़ देने पर नदी में उफान आ जाता है। इसी तरह रिटेल निवेशकों की 200-400 शेयरों की खरीद से बाज़ार पर कोई फर्क नहीं पड़ता। उसे फर्क पड़ता है हर दिन करोड़ों का खेल करनेवाली देशी-विदेशी संस्थाओं और बैंकों व एचएनआई निवेशकों से। बाज़ार इनके लिए कोई शौक नहीं, बल्कि नियमित आय का धंधा है। अब बुधवार की बुद्धि…औरऔर भी

मानते हैं कि टिटहरी को गुमान है कि आकाश अगर गिरेगा तो वह उसे अपने पैरों पर संभाल लेगी। इसीलिए वो पैर ऊपर करके सोती है। हम-आप जैसे रिटेल ट्रेडरों को भी अगर गुमान है कि उनकी खरीद-बिक्री से वित्तीय बाज़ार की चाल पर खास फर्क पड़ता है तो उन्हें इसे फौरन दिमाग से निकाल देना चाहिए। हां, निश्चित रूप से हम भेड़चाल में फंसकर हमेशा गलत वक्त पर गलत फैसला करते हैं। अब मंगलवार की दृष्टि…औरऔर भी